अहमदाबाद, 18 सितंबर। फरवरी 2002 के गोधरा कांड और उसके बाद राज्य में फैले सांप्रदायिक दंगों की जांच करने वाले दो सदस्यीय नानावटी-मेहता आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा बृहस्पतिवार को गुजरात सरकार को सौंपा।
गुजरात सरकार ने पहले एक सदस्यीय आयोग का गठन 6 मार्च 2002 को किया था और गुजरात उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के जी शाह को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। आयोग को 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 और एस 7 डिब्बे को अराजक तत्वों द्वारा आग लगाने की घटना की जांच करना था। इस कांड में 59 रामसेवक मारे गए थे। बाद में सरकार ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी टी नानावटी को भी आयोग में शामिल कर लिया और आयोग के जांच के दायरे में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को भी लाया गया जिनमें करीब 2,000 लोग मारे गए थे।
न्यायाधीश शाह का इस दौरान निधन हो गया और इसी वर्ष अप्रैल में गुजरात सरकार ने गुजरात उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अक्षय कुमार मेहता को आयोग में नियुक्त किया। आयोग ने छह वर्ष की अवधि में हजार से ज्यादा गवाहों के बयान लिए और 40 हजार आवेदनों की जांच की।
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके कार्यालय में सौंपी गई। उस समय गृहमंत्री अमित शाह भी वहीं मौजूद थे। सूत्रों ने बताया कि आयोग अंतिम रिपोर्ट नियत समय में पेश करेगा। फिलहाल आज पेश की गई रिपोर्ट के अंशों के बारे में अभी कुछ पता नहीं चल सका है।
Thursday, September 18, 2008
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