Monday, November 21, 2011

मजीठिया वेतन बोर्ड

मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को सरकार ने 25 अक्तूबर, 2011 को स्वीकार कर ली थी तथा दिनांक 11 नवम्बर, 2011 को भारत के राजपत्र में की अधिसूचना संख्या सां.आ. संख्या 2532(अ) द्वारा इसे अधिसूचित किया गया था। इस आदेश की एक प्रति निम्नवत पुन: दी गयी है:-

भारत सरकार
श्रम और रोजगार मंत्रालय

आदेश

नई दिल्ली, दिनांक 11 नवम्बर, 2011

का.आ. 2532 (अ.)- केन्द्रीय सरकार को पत्रकारों तथा गैर-पत्रकार समाचार पत्र कर्मचारियों तथा समाचार एजेंसी कर्मचारियों के संबंध में वेतन दरें निर्धारित अथवा संशोधित करने के लिए समर्थता प्रदान करने के प्रयोजन से, श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा-शर्तें) एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1955(1955 का 45) की धारा 9 और 13 के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा श्रम और रोजगार मंत्रालय में 24 मई, 2007 को, अधिसूचना संख्या का.आ. 809(अ.) तथा 810(अ.) दिनांक 24 मई, 2007 द्वारा दो वेतन बोर्ड गठित किए गए थे;

     और, इन बोर्डों को अपनी रिपोर्टें भारत सरकार को प्रस्तुत करने हेतु भारत के राजपत्र (असाधारण) में अधिसूचना - का.आ.सं. 1066(अ.) तथा 1067(अ.) दिनांक 3 जुलाई, 2007 द्वारा तीन वर्ष का समय दिया गया। अपनी रिपोर्टें प्रस्तुत करने हेतु वेतन बोर्डों का कार्यकाल, अधिसूचना संख्या का.आ.सं. 1304(अ.) तथा का.आ.सं. 1305(अ.) दिनांक 2 जून, 2010 द्वारा 31 दिसम्बर, 2010 तक बढ़ा दिया गया;
और, उक्त वेतन बोर्डों ने केन्द्रीय सरकार को अपनी सिफारिशें 31 दिसम्बर, 2010 को प्रस्तुत कर दीं;

     और, एबीपी प्रा.लि. और अन्य बनाम भारत सरकार तथा अन्यों के मामले में भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष रिट याचिका (सिविल) संख्या 246/2011 लंबित है जिसमें वेतन बोर्डों के गठन और इसकी सिफारिशों को चुनौती दी गई है;

     और, केन्द्रीय सरकार ने विधिक मत लिया है और उक्त मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अध्यधीन, उक्त अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत आदेश जारी करने की सलाह दी गई है;

    और,  केन्द्रीय सरकार, रिपोर्ट के भाग-V के अध्याय-XIX, जो अनुबंध 1(क) के रूप में संलग्न है और रिपोर्ट के उक्त भाग-V के अध्याय XX, जो अनुबंध 1 (ख) के रूप में संलग्न है, में उल्लिखित उक्त वेतन बोर्डों की सिफारिशों को एतदुपरांत किए जा रहे विनिर्दिष्ट कतिपय संशोधनों, जो केन्द्रीय सरकार की राय में सिफारिशों के स्वरूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं करते, के अध्यायधीन स्वीकार किए जाने का प्रस्ताव करती है;

अत:, अब श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा-शर्तें) एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1955(1955 का 45) की धारा 12 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा दिनांक 15 दिसम्बर, 2000 के का.आ. संख्या 1125 (अ.) द्वारा यथा संशोधित दिनांक 05 दिसम्बर, 2000 की अधिसूचना का.आ. 1086 के अधिक्रमण में ऐसे अधिक्रमण से पूर्व की गई अथवा किए जाने से रह गई बातों के सिवाय, केन्द्रीय सरकार एतद्द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अध्यधीन यह आदेश करती है, कि-

पूरा विवरण जानने के लिए लिंक करें-

http://labour.nic.in/

Saturday, November 12, 2011

Notificaiton issued for implementation of Majithia Wage Boards

New Delhi [11 nov, 2011]. Government today issued the notification for implementation of Majithia Wage Boards' recommendations for increase in the salaries and allowances of journalists and non-journalists of newspapers and news agencies."The Ministry has notified Wage Boards recommendations," a senior Labour ministry official said. The Union Cabinet had on October 25 approved the recommendations which will benefit more than 40,000 employees.

The revised wages will be applicable with effect from July 1, 2010 while the other allowances like Transport, House Rent and Hardship shall be effective from today, the official said. As per the recommendations, which were approved by the Cabinet, the revised payscale is based on old basic pay plus DA admissible upto June, 2010 plus 30 per cent of the interim relief which has already been given.

The revised pay comprises variable pay at the rate of 35 per cent for employees working in the first four classes of newspaper establishments and 20 per cent for remaining classes of newspapers. The variable pay should be added in the revised basic pay for calculation of all allowances. In the case of news agencies, the Cabinet note had recommended similar parameters for the first two classes and the remaining for the other two classes.

The Government had constituted two wage boards in May 2007. The Chairman of the Wage boards G R Majithia submitted the final report to the Government on December 31 last year.
 
 
----


मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को कैबिनेट ने दी मंजूरी


नई दिल्ली, 25 अक्तूबर। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज समाचार पत्रों एवं संवाद एजेंसियों के पत्रकार एवं गैर पत्रकार कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन संबंधी मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। संशोधित वेतनमान एक जुलाई 2010 से लागू होगा जबकि मकान किराया भत्ता और परिवहन भत्ता सहित अन्य भत्ते अधिसूचना जारी होने के दिन से प्रभावी होंगे।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया। केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खडग़े और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि इस निर्णय से देश भर के 40,000 से अधिक पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारी लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि फैसले की अधिसूचना शीघ्र जारी कर दी जाएगी। संशोधित वेतनमान पुराने मूल वेतन और जून 2010 तक का महंगाई भत्ता एवं 30 प्रतिशत अंतरिम राहत के योग पर आधारित होगा। अंतरिम राहत पहले से ही दी जा रही है।

खडग़े ने बताया कि अखबारों को उनके कुल कारोबार के आधार पर आठ श्रेणियों में और समाचार एजेंसियों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। प्रथम चार श्रेणी वाले अखबारों के कर्मचारियों को 35 प्रतिशत की दर से और अंतिम चार श्रेणी के अखबार के कर्मचारियों को 20 प्रतिशत की दर से संशोधित वेतनमान मिलेगा। सभी भत्तों के आंकलन के लिए संशोधित मूल वेतन में परिवर्तनीय मद के वेतन [वेरिएबल पे] को जोड़ा जाना चाहिए।

खड़ग़े ने बताया कि इसी तरह समाचार ऐजेंसियों की प्रथम दो श्रेणियों और अंतिम दो श्रेणियों के लिए भी उपरोक्त मापदंड सुझाए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिस अखबार का कुल कारोबार एक हजार करोड़ रुपये और उससे अधिक है उसे पहली श्रेणी में रखा गया है। इसी तरह 500 करोड़ रुपये और उससे अधिक कारोबार वाले को द्वितीय, 100 करोड़ और उससे अधिक लेकिन 500 करोड़ से कम वाले को तीसरी, 50 करोड़ रुपये लेकिन सौ करोड़ से कम वाले को चतुर्थ श्रेणी ,10 करोड़ लेकिन 50 करोड़ से कम कारोबार वाली पांचवीं श्रेणी, पांच करोड़ और उससे अधिक लेकिन दस करोड़ से कम को छठी श्रेणी और एक करोड़ से कम वाले को आठवीं श्रेणी में रखा गया है।

संवाद एजेंसियों के मामले में जिनका कारोबार 60 करोड़ और उससे ज्यादा है उसे प्रथम श्रेणी में रखा गया है जबकि 30 करोड़ से ज्यादा लेकिन 60 से कम को द्वितीय श्रेणी, दस करोड़ और उससे ज्यादा लेकिन 30 करोड़ से कम को तीसरी श्रेणी और दस करोड़ से कम वालों को चतुर्थ श्रेणी में रखा गया है।

खडग़े ने कहा कि मकान किराया भत्ता एक्स वाई और जेड श्रेणी के शहरों के लिए क्रमश: 30 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की दर से लागू होगा। इसी प्रकार परिवहन भत्ता इन तीन श्रेणी के शहरों के लिए क्रमश: 20 प्रतिशत, दस प्रतिशत और पांच प्रतिशत की दर से लागू होगा।

उन्होंने बताया कि प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अखबारों के कर्मचारियों के लिए रात्रि पाली भत्ता प्रति दिन सौ रुपये, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के अखबारों के कर्मचारियों के लिए 75 रुपये और पांच से आठ श्रेणी के अखबारों के कर्मचारियों के लिए 50 रुपये देय होगा।

संवाद एजेंसियों के लिए प्रथम और द्वितीय श्रेणी के लिए सौ रुपये और तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के लिए 50 रुपये प्रति रात्रि पाली की दर से भत्ता देय होगा। प्रथम चार श्रेणी के अखबारों के कर्मचारियों के लिए एक हजार रुपये हार्डशीप भत्ता मिलेगा, जबकि प्रथम दो श्रेणी के समाचार एजेंसियों के कर्मचारियों को 500 रूपए हार्डशीप भत्ता देय होगा।

इसी प्रकार प्रथम दो श्रेणी के अखबारों एवं समाचार एजेंसियों के कर्मचारियों के लिए एक हजार रुपये चिकित्सा भत्ता जबकि तीन और चार श्रेणी के अखबारों के कर्मचारियों को 500 रुपये चिकित्सा भत्ता मिलेगा।

खडग़े ने कहा कि प्रस्तावों को अधिसूचना के लिए आज ही कानून मंत्रालय को भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह कोशिश करेंगे कि अधिसूचना जल्द से जल्द जारी हो।

समाचार पत्रों और संवाद समितियों के पत्रकारों और गैर-पत्रकारों के वेतनमान में संशोधन के लिए मई 2007 में वेतनबोर्ड का गठन किया गया था। वेतनबोर्ड ने अपनी सिफारिशें पिछले साल 31 दिसंबर को सरकार को सौंप दी थी। खडग़े ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार के फैसले के लागू होने में कोई रुकावट नहीं है क्योंकि इस पर उच्चतम न्यायालय का कोई स्थगनादेश नहीं है लेकिन उच्चतम न्यायालय का जो भी अंतिम निर्णय होगा वह दोनों पक्षों पर लागू होगा।

यह पूछे जाने पर कि क्या कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा में वृद्धि की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है, खडग़े ने कहा कि जो भी सुझाव कानून के तहत सुझाए गए हैं उन्हें स्वीकार किया गया है लेकिन कानून से इतर सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया गया है।

[साभार: एजेंसियां]