Saturday, September 6, 2008

क्यों जरूरी है भूमि


बाबा बर्फानी के श्रद्धालुओं को सुविधाएं प्रदान करने के लिए 80 एकड़ भूमि का टुकड़ा श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को क्या दिया गया, पूरी घाटी ही अलगाववादी व पीपीडी की लगाई आग में झुलस उठी। उसके बाद आनन-फानन में तत्कालीन राज्यपाल का इस्तीफा और उनके बाद बने नए राज्यपाल द्वारा भूमि सरकार को वापस लौटा देने से जम्मू भी सुलग उठा। दो महीने तक जम्मू व कश्मीर सुलगता रहा, जो जम्मू-कश्मीर सरकार व श्री अमरनाथ संघर्ष समिति के समझौते के बाद शांत हो गया। जम्मू-कश्मीर में अब भले ही शांति हो गई है, परंतु अभी भी कुछ सवाल हवा में तैर हैं, जिनमें से एक सवाल यह है कि आखिर श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए भूमि के दिए जाने का क्या औचित्य है।
यदि आपने कभी अमरनाथ की यात्रा की होगी तो आपको इस भूमि की जरूरत की महत्ता जरूर समझ आ जाएगी। दो महीने तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसका अंदाजा उनको नहीं हो सकता जो इस यात्रा पर कभी गए ही नहीं है और न ही जिंदगी में कभी जाएंगे। मुझे याद है आज से करीब दस साल पहले जब मैं बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए गया था। हम दोस्तों ने बालटाल के रास्ते को चुना और रात वहीं बिताई। अल सुबह उठे तो हमें जंगल-पानी जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, क्योंकि वहां शौचालय की सुविधा नाममात्र की थी। जैसे-तैसे झाडि़यों के पीछे सुबह की नियत क्रियाओं से फारिग होकर स्नान ध्यान कर पवित्र यात्रा शुरू की। हम दोपहर के करीब पवित्र गुफा पहुंचे। वहां हमने स्नान कर कपड़े बदलने का निर्णय किया और नदी के तट पर पहुंचे जो गुफा से मात्र 50-60 मीटर की दूर पर थी। वहां पहुंचे तो मलमूत्र की गंदगी देख नहाने की इच्छा खत्म सी हो गई, हल्की-हल्की बूंदाबादी ने इस स्थिति को और वीभत्स बना दिया था, पास ही लंगर चल रहा था, मन पर काबू पा हमने नदी में स्नान किया और कपड़े बदल दर्शनों की वीआईपी लाइन में लग गए। दर्शन कर बाबा की पवित्र याद मन में ले हम वहां से तुरंत रवाना हो गए। हम सब तो यही सोच कर आए थे की गुफा के पास एक रात रुकेंगे, परंतु वहां फैली गंदगी ने हमें वहां से जाने पर मजबूर कर दिया।
अपनी पवित्र गुफा की यात्रा का वृतांत मैंने इसलिए किया है कि आज दस साल बाद भी शायद उन परिस्थितियों में कोई खास अंतर नहीं आया होगा। इसलिए भूमि मिलने से अब श्राइन बोर्ड को वहां श्रद्धालुओं को सुविधाएं प्रदान करना आसान हो जाएगा। रही बात पर्यारणविदें के विरोध की तो मैं इसे गैरवाजिब मानता हूं, क्योंकि सैकड़ों वर्ग किलोमीटर में फैला ये क्षेत्र छह महीने बर्फ से ढका रहता है। अमरनाथ यात्रा शुरू होने से कुछ दिन पहले ही कुछ किलोमीटर लंबे इस यात्रा मार्ग को तैयार किया जाता है। ऐसे में यदि श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए कुछ अस्थाई निर्माण होता है तो उससे वहां फैलने वाली गंदगी को ही रोकने में मदद मिलेगी।
-एक पत्रकार की कलम से

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