Tuesday, September 9, 2008

रामलीला में अश्लील नाच-गानों पर हो सकती है कार्रवाई


इस महीने के अंत में रामलीलाओं का मंचन शुरू होने वाला है। कुछ जगहों पर मंच पर अचानक अश्लील गानों व नृत्यों का मंचन देख श्रीराम भक्तों की श्रद्धा को गहरा आघात लगता है और वे अपने -आप को असहज महसूस करने लगते हैं। वे समझ नहीं पाते क्या करें, ऐसे में दिल्ली उच्च न्यायालय का एक आदेश उनकी मदद कर सकता है और वे ऐसे मंचन के आयोजकों के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और पुलिस को उस पर कार्रवाई करनी ही होगी। इस मामले में सोमवार, 18 सितंबर 2006 को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया एक फैसला आपकी मदद कर सकता है। फैसला इस प्रकार है...

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने रामलीलाओं में किन्नरों और युवतियों द्वारा किए जाने वाले अश्लील नृत्य पर रोक लगाते हुए पुलिस को ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने राजधानी में सभी रामलीला कमेटियों को रात्रि 11 बजे तक ही रामलीला का मंचन करने का निर्देश दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि रात्रि 11 बजे के बाद किसी भी हालत में मंचन की इजाजत नहीं होगी।
कार्यवाहक न्यायाधीश विजेंद्र जैन व न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर की खंडपीठ ने यह निर्देश इंद्रपुरी निवासी सुभाष नागर द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि इंद्रपुरी में संत कबीर पार्क में दसघरा रामलीला कमेटी प्रतिवर्ष रामलीला का मंचन करती है। उन्होंने कहा कि रामलीला के दौरान कमेटी किन्नरों व युवतियों से नृत्य करवाती हैं जो काफी अश्लील होते हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि रामलीला का उद्देश्य लोगों को भगवान श्रीराम के जीवन के प्रति जानकारी देना व उनके आदर्शो पर चलने का संदेश देना है। उन्होंने अदालत से रामलीला के मंचन में इस प्रकार के नृत्य पर रोक लगाने का आग्रह किया।
खंडपीठ ने तथ्य देखने के बाद इंद्रपुरी थानाध्यक्ष को यह सुनिश्चित करने का निर्देश कि रामलीला में किसी भी प्रकार से अश्लील नाच-गाना न हो। साथ ही अदालत ने राजधानी में आयोजित होने वाली सभी रामलीलाओं को रात्रि 11 बजे तक ही मंचन करने का निर्देश दिया है। अदालत हर वर्ष रामलीलाओं को रात्रि 11 बजे तक मंचन की इजाजत देती है। कुछ वर्ष पूर्व राजधानी में कानून व्यवस्था, देर रात्रि तक चलने वाले माइक से होने वाली परेशानियों के संबंध में याचिका दायर की गई थी और अदालत ने इसी याचिका के आधार पर यह आदेश दिया था।

2 comments:

महेन्द्र मिश्र said...

sahi hai.

संगीता पुरी said...

बहुत अच्छा हुआ। कम से कम रातभर की पढ़ाई और नींद तो अब बर्वाद नहीं होगी।