Sunday, November 8, 2009

जिंदगी से जूझ रहे मास्टर चंदगीराम

नई दिल्ली। राजधानी में हिंदूराव अस्पताल के बिस्तर पर पिछले दो माह से जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे 72 साल के इस इंसान ने अपना पूरा जीवन कुश्ती को समर्पित कर दिया और बीमारी में भी इसी खेल के बारे में सोचने वाले मास्टर चंदगीराम ने ओलंपिक में अधिक पदक जीतने का गुरूमंत्र खोज निकाला है।
जन्मदिन की बधाई के लिए संपर्क करने वालों से मास्टर जी ओलंपिक खेलों में अधिक पदक जीतने के बारे में बात करना शुरू कर देते हैं। उन्हें आज भी मीडिया से यह शिकायत है कि वह क्रिकेट के अलावा अन्य खेल खासकर कुश्ती पर तो ध्यान नहीं देता है।
शरीर के निचले हिस्से में खून नहीं जा पाने से दो माह से परेशान होने के बावजूद मास्टर चंदगीराम ने बताया कि अभी जरा तबीयत ठीक नहीं है, लेकिन मैने एक योजना तैयार की है जिससे हम ओलंपिक खेलों की कुश्ती प्रतियोगिता में और ज्यादा पदक जीत सकते। इस बारे में मैं अस्पताल से बाहर आने पर आपसे विस्तार से बात करूंगा।
टेलीविजन के एक मशहूर कार्यक्रम खतरों के खिलाड़ी से अपनी अलग पहचान बना चुकी मास्टर जी की बेटी सोनिका कालीरमण ने अपने पिता के बारे में बताया कि कुश्ती उनके खून में है उनमें एक अजीब तरह का दीवानापन है जो सनकीपन की हद तक है। राष्ट्रमंडल खेलों की कुश्ती प्रतियोगिता के लिए अपने को तैयार कर रही सोनिका ने बताया कि मास्टर जी शुरू में लड़कियों को पहलवान बनाने को बहुत अच्छा नहीं मानते थे, लेकिन एक बार स्कूल में लड़के से छेड़खानी के मामले से वे इतना नाराज हुए कि उन्होंने कहा कि लड़कियों को भी अपनी रक्षा के लिए ताकतवर होना चाहिए और उन्होंने हमें पहलवान बनने की इजाजत दी।
हरियाणा के जिला हिसार के सिसाई गांव में नौ नवंबर 1937 में जन्मे चंदगीराम शुरू में कुछ समय के लिए भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट में सिपाही रहे और बाद में स्कूल टीचर होने के कारण उनको मास्टर चंदगीराम भी कहा जाने लगा था। सत्तर के दशक के सर्वश्रेष्ठ पहलवान मास्टर जी को 1969 में अर्जुन पुरस्कार और 1971 में पदमश्री अवार्ड से नवाजा गया।
बीस साल की उम्र के बाद कुश्ती में हाथ आजमाना शुरू करने वाले मास्टर जी ने 1961 में राष्ट्रीय चैम्पियन बनने के बाद से देश का ऐसा कोई कुश्ती का खिताब नहीं रहा जो नहीं जीता हो। इसमें राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के अलावा हिंद केसरी, भारत केसरी, भारत भीम और रूस्तम-ए-हिंद आदि के खिताब शामिल हैं।ईरान के विश्व चैम्पियन अबुफजी को हराकर बैंकाक एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना उनका सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन माना जाता है। उन्होंने 1972 म्युनिख ओलम्पिक में देश का नेतृत्व किया और दो फिल्मों 'वीर घटोत्कच' और 'टारजन' में काम किया और कुश्ती पर पुस्तकें भी लिखी।
[साभार: भाषा]

Tuesday, June 2, 2009

कसाब के वकील पर खुला सरकारी खजाना


मुंबई। 26/11 के आतंकी हमले मामले के मुख्य अभियुक्त पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद अजमल आमिर कसाब के वकील अब्बास काजमी पर महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया है। जहां एक सरकारी वकील को किसी मुकदमे की पूरी पैरवी करने पर मात्र 900 रुपये मिलते हैं, वहीं काजमी को कसाब की वकालत करने पर प्रतिदिन 2500 रुपये का भुगतान किया जाएगा। महीने में लगभग 20 दिन चलने वाली इस सुनवाई पर काजमी को लगभग 50 हजार रुपये का भुगतान किया जाएगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मामले की सुनवाई हर हफ्ते सोमवार से शुक्रवार तक पांच दिन होगी। कसाब का बचाव करने के लिए फीस के रूप में काजमी को हर हफ्ते 12,500 रुपये और हर महीने 50 हजार रुपये का भुगतान किया जाएगा। कानूनन, यदि कोई आरोपी वकील पाने में विफल रहता है तो ऐसी स्थिति में राज्य के कानूनी सहायता प्रकोष्ठ से उसके बचाव के लिए एक वकील नियुक्त किया जाता है। आमतौर पर अदालत ऐसे मामलों के लिए नियुक्त वकील को पूरे मामले के लिए 900 रुपये देती है। इसलिए बहुत कम वकील आरोपी का बचाव करने के लिए आगे आते हैं। हालांकि, मामले की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए विशेष अदालत ने वरिष्ठ वकील काजमी को बचाव पक्ष का वकील नियुक्त किया और महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध किया कि उन्हें तर्कसंगत भुगतान किया जाए।
न्यायमूर्ति एम एल टाहिलियानी ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि विशेष मामला होने के कारण कसाब के वकील का मेहनताना राज्य द्वारा निर्धारित किया जाएगा और इसे उदाहरण के तौर पर रखकर अन्य मामलों में लागू नहीं किया जा सकेगा।विशेष अदालत ने इसके अनुरूप अपनी अनुशंसा [कसाब के लिए काजमी को बचाव पक्ष का वकील नियुक्त करने संबंधी] को राज्य सरकार के मुख्य सचिव के पास भेजा जिन्होंने इस प्रस्ताव को कानून और न्याय प्रभाग को भेज दिया। सूत्रों ने बताया कि विभाग ने काजमी के लिए ढाई हजार रुपये मेहनताने को मंजूरी दे दी।इस बारे में काजमी ने कहा,'कुछ दिन पहले इस संबंध में सरकारी अधिसूचना जारी हुई थी और मुझे इसकी एक प्रति मिली है।'विशेष अदालत में इस मामले की हर दिन होने वाली सुनवाई में अभी तक 35 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है।
साभार: एजेंसियां

Tuesday, April 7, 2009

सिख पत्रकार ने फेंका चिदंबरम पर जूता

नई दिल्ली। सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को सीबीआई द्वारा क्लीन चिट दिए जाने से उत्तेजित एक सिख पत्रकार ने केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम पर जूता फेंक दिया।

जूता फेंकने की इस घटना से कांग्रेस मुख्यालय में खलबली मच गई और जूता फेंकने वाले दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार जरनैल सिंह को पुलिस ने फौरन हिरासत में ले लिया। जरनैल सिंह ने पुलिस हिरासत में बयान देते हुए आवेश में जूता फेंकने पर बेहद अफसोस जताया लेकिन कहा कि 25 साल से सिखों के खिलाफ हो रही नाइंसाफी के बाद चिदंबरम द्वारा उनके सवाल के टालमटोल कारण उनके सामने ऐसी स्थिति पैदा हुई। पुलिस ने पूछताछ के बाद जरनैल सिंह को छोड़ दिया।
इराक की राजधानी बगदाद में पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश पर एक पत्रकार ने जूता फेंक मारा था और उसके बाद से विभिन्न नेताओं पर जूता फेंकने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। जरनैल ने कहा कि उनका उद्देश्य जूता मारना नहीं था, बल्कि सिखों के खिलाफ हो रही नाइंसाफी के खिलाफ अपना विरोध जताना चाहा था।
दैनिक जागरण के पैंतीस वर्षीय पत्रकार जरनैल सिंह कांग्रेस मुख्यालय की इस प्रेस कांफ्रेंस में सबसे अगली पंक्ति में बैठे हुए थे और भारत को आतंकवाद से संरक्षित करने के बारे में कांग्रेस पार्टी का संकल्प पत्र जारी किए जाने के मौके पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शुरुआत से ही सवाल पूछने के लिए आमादा थे। चिदंबरम ने जब उन्हें सवाल पूछने की अनुमति दी तो पत्रकार ने टाइटलर को सीबीआई द्वारा क्लीन चिट देने के खिलाफ आक्रामक तेवर में बोलना शुरू कर दिया। इस पर चिदंबरम समझाने की मुद्रा में कहने लगे कि यह मंच राजनीतिक बयानबाजी का नहीं है, आप सवाल पूछ सकते हैं।जरनैल सिंह ने गृहमंत्री से पूछा कि सीबीआई उनके तहत आती है और ऐन चुनाव के मौके पर टाइटलर को क्लीन चिट देने की यह साजिश क्या है इस पर चिदंबरम ने अपने चिर परिचित विनम्र अंदाज में कहा कि सीबीआई पर किसी ने दबाव नहीं डाला और अभी उसने मामले की रिपोर्ट कोर्ट को दी है। इस पर कोर्ट को निर्णय लेना है कि रिपोर्ट स्वीकार की जाए या नहीं, लेकिन जब जरनैल ने जवाब पर असंतोष जताया तो गृहमंत्री ने कहा कि वह यहां बहस नहीं करना चाहते।
इस पर जनरैल ने कहा कि सिखों को 25 साल से इंसाफ नहीं मिल रहा है और उन्होंने आई प्रोटेस्ट कहते हुए अपना जूता निकालकर चिदंबरम की ओर फेंका जो उनके दाहिनी ओर से निकल गया। चिदंबरम पत्रकारों को शांत रहने के लिए समझाते रहे और पंद्रह मिनट तक सम्मेलन चलता रहा, लेकिन किसी की दिलचस्पी फिर सवाल जवाबों में नहीं बची।
जूता फेंकने की इस घटना से संवाददाता सम्मेलन में खलबली मच गई, लेकिन चिदंबरम ने कहा कि एक पत्रकार के भावुक होने पर संयम बरता जाए और उन्होंने इस पत्रकार को शांतिपूर्वक बाहर ले जाने को कहा। दो तीन कांग्रेसी कार्यकर्ता उन्हें बाहर लाए और 24 अकबर रोड के बाहर मौजूदा पुलिस ने जरनैल सिंह को हिरासत में ले लिया। चिदंबरम द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई न करने की बात कहने के बाद पुलिस ने पूछताछ के बाद जरनैल सिंह को छोड़ दिया।
[साभार: एजेंसियां]


Thursday, March 5, 2009

जादुई कैलेंडर 2009

अगर आप से कोई पूछे की 15 अगस्त को क्या वार है तो आप की निगाहें बरबस कैलेंडर की तरफ चली जाती हैं तथा आप झट से उस तारीख का वार देंगे। मगर आप के पास कैलेंडर न हो तो आपको काफी देर तक सोचना पड़ेगा तब जाके आप उस तारीख के वार के बारे में बता पाएंगे। अब हम आपको बिना कैलेंडर किसी भी तारीख का वार बताने की युक्ति बताते हैं बस सिर्फ आपको कुछ अंक याद करने पड़ेंगे।अगर आप से कोई 15 अगस्त का वार पूछे तो घबराइए मत नीचे दिए गए मासों में अगस्त के आगे दी गई संख्या 5 को 15 से जोड़कर 7 से भाग कर दें तथा जितना भी शेषफल बचे उसे सप्ताह के सात वारों में से क्रमवार रखकर ज्ञात कर सकते हैं जैसे:-


15 + 5

______
7
=

20
____

7

=

2

_____

7 । 20

14

_____

6

शेषफल = 6 [सप्ताह का छठा वार शनिवार होता है अत: 15 अगस्त को शनिवार है।]

प्रत्येक मास के अंक इस प्रकार हैं:-

जनवरी-3

फरवरी-6

मार्च-6

अप्रैल-2

मई-4

जून-0

जुलाई-2

अगस्त-5

सितंबर-1

अक्टूबर-3

नवंबर-6

दिसंबर-1

इस प्रकार आप इस साल की किसी भी तारीख का वार आसानी से निकाल सकते हैं।


प्रेषक:-

योगेश अहलावत

वार्ड नं.1, C/o श्री राज सिंह कादियान

चरखी दादरी, भिवानी

Saturday, February 14, 2009

प्रो. जीनी विनोबा पुरस्कार से सम्मानित


अहमदाबाद। नागरी लिपि परिषद ने शनिवार को प्रोफेसर सी.ई. जीनी को विनोबा नागरी पुरस्कार से सम्मानित किया।
केंद्रीय हिंदी संस्थान में भाषा विज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रो. जीनी को यह पुरस्कार गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद में आयोजित 31वें अखिल भारतीय नागरी लिपि सम्मेलन में प्रदान किया गया।
इस पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र, शाल और नगद 7000 रुपये की राशि दी जाती है। आचार्य विनोबा भावे की सतप्रेरणा से यह पुरस्कार देवनागरी के उत्कृष्ट प्रयोग के लिए दिया जाता है।

Monday, February 2, 2009

बच्चों की मनोहारी प्रस्तुति से दर्शक हुए विभोर

नई दिल्ली। देश के इतिहास को दर्शाने की नन्हे-मुन्नों की ललक देखते बनती थी। रंग-बिरंगे परिधानों और किस्म-किस्म के आभूषणों से लकदक बालिकाओं के नृत्य को जिसने भी देखा, मंत्र-मुग्ध हुए बिना नहीं रह सका। वसंत पंचमी एवं मां सरस्वती पूजन पर रोहिणी के सेक्टर-23 स्थित प्रिंस सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल में हुए वार्षिकोत्सव प्रवाह-2009 के दौरान छात्रों ने 'अतुल्य भारत' की मनोहारी झलक प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक तंवर बतौर मुख्य अतिथि और भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रकाशन विभाग के राष्ट्रीय संयोजक एवं हिंदी संघर्ष वाहिनी के अध्यक्ष डा. राजेश शर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

कछुए-खरगोश की कहानी के अलावा चंदामामा की सशक्त प्रस्तुति दर्शनीय रहीं। बच्चों ने मौके पर पुरातन काल से वर्तमान समय के बीच देश में हुई प्रमुख घटनाओं को बेहतर ढंग से दर्शाया। युद्ध भूमि पर मृत्यु शैया पर पहुंच चुके एक सैनिक की चिट्ठी को जिस सुंदर तरीके से कविता के माध्यम से सुनाया गया, वो नि:संदेह अविस्मरणीय रहा। राजस्थानी नृत्य, पंजाबी गिद्दा और ईद के त्यौहार पर छाने वाली मस्ती का भी उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ।

विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त डॉ. पीएस भूषण भी पहुंचे। अशोक तंवर ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों के भविष्य को सुंदर ढंग से संवार कर ही आधुनिकतम भारत के निर्माण की परिकल्पना संभव है।

इस मौके पर हिंदी संघर्ष वाहिनी के अध्यक्ष एवं अक्षुण्ण भारत के कार्यकारी संपादक राजेश शर्मा ने बच्चों से आतंकवाद के विरुद्ध पूरे देश में अलख जगाने का आह्वान किया। समारोह में स्कूल की प्रधानाचार्य कमलेश सोलंकी, चेयरमैन राजेंद्र सिंह और रीना सांगवान समेत सभी शिक्षिकाएं और हजारों अभिभावक भी मौजूद थे।

Monday, January 19, 2009

जिंदगी की अंतिम लड़ाई लड़ता बिरजू

गरीबों की सेवा का दंभ भरकर वाहवाही बटोरने वाले समाज सेवकों की भरमार होने के बावजूद इसी समाज में गरीबी, भूख, ठंड से जूझता एक इंसान अंतिम सांसे गिनने को मजबूर हो रहा है।
कुछ ऐसा ही नजारा कुल्टी रांची ग्राम मोड़ में इन दिनों देखने को मिल रहा है। जहां विगत एक पखवाड़े से एक 80 वर्षीय वृद्ध बिरजू मौत के इंतजार में लावारिस पड़ा अंतिम सांसे गिन रहा है। बिरजू की ये हालात समाज के उन ठेकेदारों के लिए करारा तमाचा है, जो सुरा और सुंदरी पर तो हजारों रुपये पानी की तरह बहाते है। परंतु जब एक इंसान सहायता की टकटकी लगाए जीवन की भीख मांगता है तो उसे लोग तिरस्कार की नजर से देखते हैं।
पिछले एक पखवाड़े से गंदगी में पड़ा बिरजू वहीं पर मल त्याग करने से लेकर खाना खाने को मजबूर है। परंतु ताज्जुब की बात है कि कुछ लोग उसके सामने कपड़े और खाना तो फेंक जा रहे हैं, परंतु उसको बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए आगे बढ़ने से हिचक रहे हैं।
बताया जाता है कि बिरजू रांचीग्राम स्थित चमड़ा गोदाम के समीप रहने वाला है। जिसका कोई परिजन नहीं है। जिस स्थान पर वह पड़ा हुआ है वहां से हिलना तो दूर वह एक निवाला तक नहीं ले पा रहा है। रांचीग्राम जहां राजनीतिक और समाजसेवी लोगों का केंद्र है, वहां एक वृद्ध सड़क पर पड़ा-पड़ा दम तोड़े इससे बड़ा शर्म की बात नहीं हो सकती।
[साभार दैनिक जागरण]