Wednesday, September 10, 2008

अयोग्य छात्र हो सकते हैं परीक्षा से वंचित



नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि जो छात्र शैक्षणिक संस्थानों में जरूरी योग्यता के बगैर प्रवेश पा लेते हैं उनके प्रति अनावश्यक सहिष्णुता दिखाने की जरूरत नहीं है। उन्हें परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अनावश्यक सहिष्णुता दिखाते हुए एक विशेष पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश के मामले मे शैक्षणिक मानदंडों से समझौता किया गया है। एक बार फिर इस मामले में उच्च न्यायालय के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना हुई है।


न्यायाधीश अशोक भान और वीएस सिरपुरकर की पीठ ने यह निर्णय केरल उच्च न्यायालय के फैसले को नामंजूर करते हुए सुनाया। केरल उच्च न्यायालय ने महात्मा गांधी विश्वविद्यालय को एक छात्रा गिस जोंस के परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया था हालांकि वह प्रवेश के लिए योग्यता के मानदंडों को पूरा नहीं करती थी। अकादमिक परिषद की अनुशंसा के आधार पर विश्वविद्यालय ने बीपीसी कालेज पीरावोम से कंप्यूटर में एमएससी कर रही छात्रा जोंस के परिणामो पर रोक लगा दी थी। परिणाम इस आधार पर रोके गए थे कि छात्रा ने क्वालीफाइंग परीक्षा में सिर्फ 53.3 फीसदी अंक पाए थे, जबकि विश्वविद्यालय ने न्यूनतम कट आफ अंक 55 फीसदी तय किया था।
[मंगलवार 9 सितंबर, 2008 का फैसला]

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