Friday, January 1, 2010

कर्मचारी का हक है ग्रेच्युटी



नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि ग्रेच्युटी कर्मचारी का अधिकार है। प्रबंधन इस आधार पर इससे इनकार नहीं कर सकता कि कर्मी को भविष्य निधि और पेंशन का लाभ दिया जा रहा है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कोई संस्थान किसी कर्मचारी को ग्रेच्युटी देने से इनकार नहीं कर सकता, क्योंकि संसद द्वारा पारित कानूनी प्रावधान को किसी अनुबंध या अन्य माध्यमों से नकारा नहीं जा सकता। न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी और आर.एम. लोढा की खंडपीठ ने हालिया फैसले में कहा, 'जहां तक ग्रेच्युटी के भुगतान का सवाल है, संबंधित कानूनी प्रावधान अन्य किसी अनुबंध से ऊपर हैं। ग्रेच्युटी पाने के अधिकार को किसी अनुबंध या अन्य माध्यम से खत्म नहीं किया जा सकता।'
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में इलाहाबाद बैंक की इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने बैंक प्रबंधन को सेवानिवृत्त कर्मचारी को ग्रेच्युटी देने का निर्देश दिया था। बैंक का तर्क था कि कर्मचारी को पेंशन और भविष्य निधि जैसे लाभ दिए गए इसलिए उसे ग्रेच्युटी नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि ग्रेच्युटी कुछ विशेष परिस्थितयों में ही रोकी जा सकती है और इसके लिए सरकार की मंजूरी लेनी होगी।
[साभार: भाषा]