Tuesday, November 3, 2020

करवाचौथ: जाने कैसे पूरे वर्ष पति को अपने वश में रखे


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हर पत्नी की कामना होती है उसका पति उसके वश में रहे पर कई बार काफी प्रयास के बाद भी जब पति के ऊपर आपका आकर्षण कम होने लगे तब पत्नी को चाहिए कनकणी गुटिका को अपने पूजा स्थान में रखे। इसके प्रभाव से स्वतः ही पति का उसके प्रति आकर्षण बढ़ता जाएगा...


कनकणी गुटिका:

यह शिवशक्ति सायुज्य विशष्ट मंत्रो से निर्मित गुटिका होती है जिसका प्रभाव एक वर्ष तक रहता है। जिसके स्थापन मात्र से ही पति का पत्नी के प्रति सदैव आकर्षण बना रहता है। जिससे घर मे लक्ष्मी का आगमन बना रहता है। इसे हर घर मे स्थापित करना ही चाहिए। इस गुटिका की न्योछावर राशि मात्र 300/- रखी गई है, इसे किसी भी शुक्रवार को पूजा स्थान में स्थापित करें।

- स्वामी श्रेयांन्द महराज

09752626564

(निखलेश्वरानन्द सहिंता से साभार)

करवा चौथ: पत्नी का व्रत सफल करवाने के लिए क्या करें या क्या ना करें पति.....


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अविरल चलने वाली इस जीवन धारा में पति पत्नी का आपस मे प्रेम और एक दूसरे पर विस्वास होना अति आवश्यक है .... ऐसा ही यह पर्व है करवा चौथ का... जहां पत्नी अपने पति के सुखद जीवन और लम्बी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती है वही पति भी अपनी पति की सुखद निरोगी और प्रसन्नता की कामना करता है ... इस दिन पति को क्या करना चाहिए....

1. सुबह पति सोकर जल्दी उठ जाए और दैनिक दिनचर्या से निपट कर अपने आराध्य पूजा आराधना करे।

2. आज किसी भी बात पर पत्नी से अनबन न करें।

3. यदि सम्भव हो तो पति भी उपवास कर सकते हैं।

4. इस दिन किसी भी प्रकार का नशा न करे।

5. पति द्वारा पत्नी को दिया जाने वाला सुंदरतम और बहुमूल्य उपहार है समय, आज यदि अवकाश ले कर घर पर साथ रह सकते हैं तो उत्तम, सम्भव नही तो शाम को आमदिनों की अपेक्षा जल्द वापस पूजा में शामिल हो जाएं।

6. मेरा ऐसा अनुभव है जिन दाम्पत्यों ने भी निखलेश्वरानन्द सहिंता में दिए विशिस्ट मंत्रो के प्रयोग से निर्मित कनकणी गुटिका को अपने घर के पूजा स्थान में स्थापित किया पूरे साल उनके दाम्पत्य जीवन में आपसी प्रेम और मधुरता बनी रही ...और जिस घर मे प्रेम और शांति का वास होता है वहां लक्ष्मी का आगमन रहता ही है .. यही करवाचौथ की पूर्णता है ।

(कनकणी गुटिका की न्योछावर राशि मात्र 300/- रखी गई है, इसे किसी भी शुक्रवार को पूजा स्थान में स्थापित करें।)

-स्वामी श्रेयांन्द महराज

09752626564

(निखलेश्वरानन्द सहिंता से साभार)

जाने मासिक धर्म मे करवा चौथ पूजन कैसे करे...


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मासिक धर्म कोई अपवित्रता सूचक नही है यह तो प्रकृति का महिलाओ को एक, नैसर्गिक वरदान है जो उन्हें सृस्टि के संचालन के लिए के हर माह उनके शरीर को नवीनता प्रदान करता है जो आवश्यक भी है।

हिन्दू धर्म मे स्त्रियों को मासिक धर्म के समय पूजा , धार्मिक अनुष्ठान निषेध माना गया है । फिर भी कुछ पर्व ऐसे होते है जिसका अपना महत्व होता है तब क्या करे...

1. मासिक धर्म 1 से 5 दिन का समय हुवा है तो उस समय पूजन में भाग न ले ।

2. मन्दिर में प्रवेश न करे । और न ही पूजन सामग्री को छुए ।

3. ऐसे समय मे महिलाओ को कमजोरी आ जाती है अतः फलो का जूस ले सकती है ।

4. मासिक धर्म वाली महिला बाल धोकर श्रींगार कर पूजा में भाग ले सकती है पर अन्य महिलाओ से दूरी बनाकर रखे और पुजन सामग्री को न छुए ।

5. रात्रि को चन्द्र दर्शन कर पति के हाथों से जल ग्रहण करना चाहिए ।

6. मासिक धर्म 5 दिन हो गया हो तो 6 वे दिन बाल धोकर पूजन में भाग ले सकती हैं ।

7. आजकल मासिक धर्म कुछ दिन रोकने की दवा भी आती है यदि पीरियड की सही जानकारी हो तो डॉक्टर की सलाह से दवा का सेवन भी कर सकती है और पर्व का आनन्द उठा सकती है ... क्योंकि यह पति पत्नी के आपस का प्रेम का पर्व है ।

-स्वामी श्रेयानंद महाराज

करवा चौथ 2020: जानें, आपके यहां कब होगा चांद का दीदार


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करवा चौथ के दिन हर पत्नी को चांद निकलने की बडी बेसब्री से इंतजार होता है। होगा भी क्यों नहीं आखिर चांद को देखने के बाद ही वह अपने पति का छलनी से दीदार कर व्रत को पूर्ण करती हैं। इस साल करवा चौथ 4 नवंबर बुधवार को पड. रहा है। काल गणना के अनुसार हर शहर में अलग समय पर चांद उगता है। आइए जानते हैं करवा चौथ 2020 में चन्द्रमा सायंकाल के बाद कब निकलेगा आपके शहर में...

शहर का नाम चन्द्रोदय का समय सायंकाल

अहमदाबाद - 9.05 मिनट

आगरा - 8.34 मिनट

अगरतला - 7.49 मिनट

अजमेर - 8.51 मिनट

अकोला - 8.55 मिनट

अलाहाबाद - 8.24 मिनट

अलमोरा - 8.24 मिनट

अमृतसर - 8.37 मिनट

अयोध्या - 8.20 मिनट

बंगलोर - 9.08 मिनट

बरेली - 8.26 मिनट

बक्सर - 8.14 मिनट

ब्रम्हपुर - 8.00 मिनट

भागलपुर- 8.37 मिनट

भोपाल- 8.45 मिनट

भुनेश्वर- 8.19 मिनट

बीकानेर- 8.55 मिनट

बिलासपुर - 8,30 मिनट

बोकारो- 9.18 मिनट

चण्डीगढ- 8.32 मिनट

चेन्नई- 8.56 मिनट

कोचिन - 9.18 मिनट

कटक - 8.16 मिनट

दार्जलिंग - 7.55 मिनट

दिल्ली - 8.36 मिनट

धनबाद - 8.10 मिनट

दुर्ग - 8.35 मिनट

इटावा - 8.33 मिनट

फिरोजाबाद - 8.20 मिनट

गांधीनगर - 9.06 मिनट

गाजियाबाद - 8.34 मिनट

गोरखपुर - 8.25 मिनट

गोहाटी - 7.43 मिनट

हुबली - 9.10 मिनट

हैदराबाद - 8.55 मिनट

इन्दौर - 8.54 मिनट

जबलपुर - 8.37 मिनट

जम्मू - 8.35 मिनट

जमशेदपुर - 8.11 मिनट

कोलकता - 8.04 मिनट

लखनउ - 8.25 मिनट

मथुरा - 8.35 मिनट

मेरठ - 8.33 मिनट

मुम्बई - 9.16 मिनट

मुज्जफरपुर - 8.29 मिनट

नागपुर - 8.45 मिनट

नासिक - 9.10 मिनट

पठानकोठ - 8.33 मिनट

पुणे - 9.10 मिनट

पुरी - 8.20 मिनट

रायपुर - 8.34 मिनट

राजकोट - 9.15 मिनट

रांची - 8.15 मिनट

शिलांग - 7.44 मिनट

श्रीनगर - 8.33 मिनट

सूरत - 9.11 मिनट

उदयपुर - 8.60 मिनट

उज्जैन - 8.53 मिनट

विजयवाडा - 8.48 मिनट

विशाखापट्नम - 8.35 मिनट

-स्वामी श्रेयानंद महाराज

जानें, क्या करें और क्या न करें करवा चौथ के दिन


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नवविवाहिता के लिए विशेष तौर पहला करवा चौथ बहुत महत्व रखता है। पहली बार करवा चौथ मनाने की वजह से उसे कई बातों की जानकारी नहीं होती। ऐसे में उनके लिए यह जानना जरूरी है कि वह इस दिन क्या करें और क्या ना करें। आइए जानते हैं इस बारे में...

- व्रत की शुरूआत सरगी खाकर करें खाते समय मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

- कवराचौथ की पूजा सूर्यास्त से पूर्व कर लेना चाहिए तथा पूजा में साबूत अनाज और मीठा रखकर करना चाहिए।

- कथा सुनते समय हुंकारा करते रहना चाहिए जिससे आपको नींद न आये।

- पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

- इस दिन काले या सफेद वस्त्र न पहनें।

- इस दिन लाल व पीले रंग के कपडे पहने।

- दिन में नहीं सोना चाहिए समय बिताने के लिए शिवपुराणका पाठ कर लेना चाहिए।

- किसी की निंदा या क्रोध नहीं करना चाहिए।

- पति से लडाई न करें न ही वाद विवाद करें।

- बडों का सम्मान करें और प्रेम पूर्वक रहें।

- इस दिन दूध दही चावल या सफेद चीजों दान न करें।

- इस दिन तामसिक भोजन न करें न ही पकायें।

- अपने श्रृंगार का सामान को किसी को न दें न ही किसी से मांगे और अपना सामान ही उपयोग करें।

- अपने सुहाग के सामान को इस दिन कचडे में न फेंके उसे जल में प्रवाहित कर दें।

-स्वामी श्रेयानंद महाराज

क्या करवा चौथ के दिन पति-पत्नी के बीच शारीरिक मिलन होना चाहिए? जानें...


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भारतीय सनातन पराम्परा युगों से युगों से चली आ रही है, हमारे ऋ़षि मुनि विद्वानों ने मानव जीवन को जीने का एक पद्धति विकसित की और बताया कि हमें अपना जीवन किन मूल्यों पर किस सिद्धांत पर कैसे जीना चाहिए। क्या हमें उपवास जैसे दिनों में करवा चौथ के दिन पति पत्नी का समागम उचित मान सकते हैं, यूं तो उपवास के दिन पवि़त्रता के साथ मनाना चाहिए विशेषकर करवाचौथ, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का दिन है इस दिन विवाहित स्त्रियां द्वारा पति की लम्बी आयु के लिए माता पार्वती और भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करती है! पर यह सवाल उठता है कि क्या इस दिन पति पत्नी आपस में शारीरिक मिलन कर सकतें हैं, जी हां कुछ विशेष परिस्थितियों में पति पत्नी द्वारा मिलन की जा सकती है, जिस किसी की एक भी संतान नहीं है तो ऐसे जोडे संतान की कामना से मिलन कर सकते हैं पर वह भी विशेष समय मुहूर्त में उस क्षण विशेष में जब गर्भ ठहरने की क्रिया हो!

उच्च कोटि की आत्मा विशेष क्षण में ब्रहृमाण में विचरण करती है वो भी उस गर्भ का चयन करती है तब पति पत्नी का मिलन होने पर विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न शिशु का जन्म होता है, उसके लिए उन विद्वानों का मार्ग दर्शन लेना चाहिए, जिसे काल को ज्ञान हो वहीं उस क्षण विशेष के बारें में बता सकता है और क्षण विशेष में पति पत्नी द्वारा मिलन करने पर निश्चत ही उत्पन्न होने वाला संतान प्रतिभा सम्पन्न होगी। 

यूं तो उपवास के दिनों में सिर्फ आनन्दातिरेक में मिलन करना आध्यातिमक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण निषेद्य ही माना गया है।

स्वामी श्रेयानंद महाराज

करवा चौथ पर बनाए जाते हैं पति के कई रूप


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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ कहते हैं। सुहागवती स्त्रियां इस व्रत को पति के दीर्घजीवी होने के लिए करती हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियां चावल पीसकर, दीवार पर करवा चौथ बनाती हैं, जिसे वर कहते हैं इस करवा चौथ में पति के अनेकों रूप बनाएं जाते हैं तथा सुहाग की वस्तुएं जैसे चूडी, बिन्दी, बिछुआ मेंहदी और महावर आदि के साथ साथ दूध देने वाली गाय, करूआ बेचने वाली नाईन चूडी पहनाने वाली मनिहारिन सात भाई और उनकी इकलौती बहन सूर्य, चन्द्रमा, गौरा और पार्वती आदि देवी देवताओं के भी चित्र बनायें जाते हैं।

सुहागिन स्त्रियों को इस दिन निर्जल व्रत रखना चाहिए, रात्रि को जब चन्द्रमा निकल आये, तब उसे अर्ध्य देकर तथा बडों के पैर छूकर और अपने पति की पूजा कर भोजन करना चाहिए।

जानें, श्रीकृष्ण ने क्यों सुनाई द्रोपदी को करवा चौथ मनाने की पौराणिक कथा?


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अति प्राचीन काल की बात है एक बार पांडु पुत्र अर्जुन तप करने के लिए नीलगिरी पर्वत पर चले गए तो पीछे से द्रोपदी को बडी चिंता होने लगी कि कहीं अर्जुन की तपस्या में कोई विघ्न न डाले, क्योंकि पाण्डवों के अनेक शत्रु थे इस प्रकार द्रोपदी ने शोक विव्हल हो श्री कृष्ण की आराधना की श्री कृष्ण उपस्थित हुए और पूछा कहो! क्या कष्ट है तुम्हें ?

द्रोपदी बोली - हे प्रभु! मुझे क्या कष्ट है यह तो आप स्वयं जानते हैं आप तो अन्तर्यामी हो, मुझे कष्टों के बोझ ने विव्हल कर दिया है, क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे इन कष्टो से छुटकारा मिल सके?

श्री कृष्ण मुस्करा कर बोले - हे सखी ! तुम्हारा प्रश्न अति उत्तम है यही प्रश्न एक बार पार्वती जी ने शिवजी से किया था तब शिवजी ने पार्वती जी को करवा चौथ व्रत का विधान बताया था तब द्रोपदी बोली -प्रभु करवा चौथ व्रत की जानकारी मुझे भी दीजिये और उसकी कथा कहिए।

तब श्री कृष्ण ने एक पल सोचने के बाद कहा - दुःख सुख जो सांसारिक माना जाता है प्राणी उसमें सदा ही लिप्त रहता है मैं तुम्हें अति उत्तम करवा चौथ की कथा सुनाता हॅूं इसे ध्यान से सुनो -

प्राचीन काल में गुणी, विद्वान धर्मपरायण वेद शर्मा नाम का एक ब्राहम्ण रहता था उसकी पत्नी का नाम लीलावती था उसके सात महारथी पुत्र तथा एक वीरवती नाम की पुत्री थी उसकी आंखें नीलकमल के समान और मुख चन्द्रमा के समान था विवाह योग्य होने पर वेद शर्मा ने एक विद्वान ब्राहम्ण सोमनाथ के साथ उसका विवाह कर दिया। एक बार पुत्री ने अपनी भोजाईयों सहित कार्तिक कृष्ण चतुर्थी का व्रत किया, सायंकाल स्नान कर सभी ने भक्तिभाव से पूरी पूजन सामगत्री से गौराजी का पूजन किया तथा अर्घ्य देने के लिए चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करने लगी, किन्तु चन्द्रोदय से पूर्व ही वीरवती को भूख ने विवश कर दिया और वह बेहोश हो कर गिर गई , इससे उसके स्नेही भाई अत्यंत दुःखी हुए और उन्होंने छल से पीपल की आड में कृत्रिम चन्द्रमा बनाकर दिखा दिया, लडकी ने अर्घ्य दे भोजन कर लिया, भोजन करते ही उसके पति की हृदयगति बन्द हो गई, इससे दुःखी हो, उसने पुनः शिवजी का पूजन एक वर्ष तक निराहार रहकर किया तथा वर्ष के समाप्त होने पर करक चतुर्थी का व्रत किया तब ब्राम्हाणी वहां देव कन्याओं के साथ करक चतुर्थी का व्रत करने आई और स्वयं वीरवती के पास गई तब ब्राम्हाणी पुत्री ने उनसे अपने दुःख कार कारण पूछा, इन्द्राणी ने बताया - तुम्हें करवा चौथ व्रत में चौथ दर्शन से पूर्व भोजन कर लेने से यह कष्ट मिला है, तब उस लडकी ने अंजली बांधकर विनय की कि इससे मुक्त होने का काई उपाय बताईये।

इस पर इन्द्राणी ने कहा- अब तुम विधि पूर्वक इस करवा चौथ का व्रत करो तो तुम्हारे पति पुनर्जीवित हो जायेंगे, वीरवती ने ऐसा ही किया जिसके प्रभाव से उसका पति जीवित हो गया और वह अपने पति के साथ आनन्द पूर्वक रहने लगी। 

श्री कृष्ण ने कहा- हे द्रोपदी ! यदि तुम भी इस व्रत को करोगी तो तुम्हारे सभी संकट टल जायेंगे! 

श्री कृष्ण के इन वचनों को सुनकर द्रोपदी ने यह व्रत किया और पांडव सभी क्षेत्रों में विजयी हुए इस प्रकार सुख सौभाग्य,पुत्र पौत्रादि और धन धान्य की इच्छुक स्त्रियों को यह व्रत विधिपूर्वक करना चाहिए!