Saturday, October 13, 2018

संत, श्राप, अटल, मोदी और सत्‍ता से वनवास

अटल के पदचिन्‍ह्नों पर मोदी
पहले अटल, अब मोदी की वजह से भाजपा को ना झेलना पड़ जाए वनवास  

नई दिल्‍ली। गंगा पर बड़े-बड़े वादे पर उन पर अमल के नाम पर कुछ भी नहीं। शायद ये ही दर्द लेकर कलयुग के गंगापुत्र देवलोक को गमन कर गए। परंतु उन्‍होंने देवलोक गमन से पहले लिखे एक पत्र में प्रधानमंत्री से गंगा को बचाने के प्रयास करने का अनुरोध किया और साथ ही अंत में ऐसा न होने पर एवं अनशन के दौरान अपनी मृत्‍यु होने पर उन्‍हें पाप का भागीदारी बनने की चेतावनी भी दी।

संत सानंद की चेतावनी और उनके अचानक देह त्‍याग ने अटल बिहारी वाजपेयी और महंत परमहंस रामचंद्र दास के किस्‍से को साधु-संन्‍यासियों के बीच एक बार फिर चर्चा का विषय बना दिया है। राम जन्‍मभूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले संत भी अपने अंत समय में राम मंदिर नहीं बन पाने से व्‍यथित थे। उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश के बाद तत्‍कालीन अटल सरकार रवैये ने उनकी व्‍यथा को और बड़ा दिया। वाजपेयी ने 11 मार्च 2002 को संसद को आशस्‍वत किया था कि विवादित भूमि पर केंद्र सरकार सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आदेश को मानेगी। विहिप ने वि‍वादित भूमि पर शिलादान और सांकेतिक पूजा की घोषणा कर रखी थी।

कहा था, त्‍याग दूंगा प्राण
शंकराचार्य ने 26 जून 2002 को अटल से मुलाकात के बाद कहा था कि केंद्र सरकार ने इस मामले में कुछ नहीं किया। जिसके बाद परमहंस रामचंद्र दास ने कहा था कि मैं रामलला के दर्शन और पूजन के लिए अवश्‍य जाऊंगा, यदि मुझे रोका गया मैं प्राण त्‍याग दूंगा। उन्‍होंने कहा था कि उनका अदालत, राजनीति या संसद से कोई वास्‍ता नहीं है, वे प्रभु श्रीराम के अलावा किसी और को नहीं मानते। शिलादान कार्यक्रम की घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने संत से सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आदेश की बाबत विवादित भूमि या इसके आसपास इसको आयोजित ना करने का अनुरोध किया था।

अंत समय तक मलाल
केंद्र सरकार के रवैये की वजह से रामजन्‍म भूमि पर तय समय और कार्यक्रम के अनुसार शिलादान और पूजन नहीं हो पाया। उल्‍टे परमहंस रामचंद्र दास और विहिप अध्‍यक्ष अशोक सिंहल के साथ पुलिस ने धक्‍कामुक्‍की की और देशभर से आए लाखों भक्‍तों पर लाठीचार्ज किया गया। केंद्र सरकार की ओर से बाद में अयोध्‍या प्रकोष्‍ठ के प्रभारी और आईएएस अधिकारी शत्रुघ्‍न सिंह ने शिला स्‍वीकार की। राम मंदिर के वादे को लेकर सत्‍ता में आई भाजपा सरकार के इस रवैये से संत परमहंस रामचंद्र दास अंत समय तक व्‍यथित रहे। वे अटल बिहारी वायजेपी के रुख से बेहद आहत थे और कहीं न कहीं इस मलाल को लेकर वे इस संसार से‍ विदा हुए। इसके बाद अनुमानों के उल्‍ट 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा और वह 10 साल तक सत्‍ता से बाहर रही। अटल की सक्रियता धीरे-धीरे कम होने लगी और वे बीमार रहने लगे। वहीं, संत समाज का मानना है कि अटल को परमहंस रामचंद्र दास के मन से निकली आह लगी, जिससे वे सत्‍ता से बाहर हो गए और अंत समय में खाने-पीने से लेकर चलने फिरने तक के लिए उन्‍हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ा।

अटल को कहा था, आपकी स्थिति भी वैसी हो जाएगी
संतों के अनुसार इससे पहले भी गो रक्षा के मुद्दे पर जब संत समाज का प्रतिनिधिमंडल अटल बिहारी वाजपेयी से मिला था, तो इस सवाल पर अटल की चुप्‍पी परमहंस को चुभ गई थी। उन्‍होंने अटल से कहा था कि आप चुनाव से पहली की अपनी घोषणा पर कायम रहें, गो रक्षा के लिए आप अपनी सरकार गिरा दीजिए। जनता सब समझती है। आप पूर्ण बहुमत से सत्‍ता में आएंगे। हम यहां दूध फल ग्रहण करने नहीं आएं। उन्‍होंने कहा था कि अटल जी गो रक्षा पर आप यदि मौन है, कुछ बोल नहीं सकते। तो आप ना देख सकेंगे, ना बोल सकेंगे और ना समझ सकेंगे, इ‍सी स्थिति में आपको जाना है तो यही स्थिति आपकी होगी, यह बोल कर संत निकल आए। संत समाज का मानना है यह भले ही श्राप न हो परंतु उनके दुखी मन से जो वेदना निकली वह सच हो गई।निधन से कुछ साल पहले ही अटल लगभग ऐसी स्थिति में आ गए थे।

इस वीडियो को देखें जो यूट्यूब पर है- क्या अटल जी को लगा था एक संत का श्राप?

अपने को दोरहा रहा है इतिहास
संत समाज के अनुसार आज एक बार फिर इतिहास अपने को दोहराता नजर आ रहा है। पहले अटल-परमहंस और अब मोदी-सानंद। परमहंस अपने मन में राममंदिर की पीड़ा, तो संत सानंद गंगा मैया की उपेक्षा का दंश लेकर इस संसार से गमन कर गए। चुनाव में गंगा मैया की रक्षा करने का वादा करने वाले मोदी से उन्‍हें बहुत उम्‍मीदें थी, परंतु ये उम्‍मीद भी दिन-प्रतिदिन टूटती ही गई। जो कि अंत समय तक उनके मन में रही। उनका मानना है कि कहीं अगले साल होने लोकसभा चुनाव में संत सानंद का यह श्राप मोदी सरकार पर भारी न पड़ जाए और भाजपा एक बार फिर 2004 की तरह सत्‍ता से बाहर न हो जाए।

चांडाल चौकड़ी से घिरे गए हैं प्रधानमंत्री
अनशन पर बैठने से पहले गंगा के लिए बलिदान देने वाले संत सानंद ने इस पत्र में मोदी पर चांडाल चौकड़ी के प्रभाव में गंगा मैया को भूलने का आरोप लगाया। उन्‍होंने इस साल 22 फरवरी को प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा था कि प्रिय छोटे भाई मोदी आपके इर्दगिर्द एक ऐसी चांडाल चौकड़ी है, जो केवल सत्‍ता सुख भोगने के लिए गंगा मैया के नाम का प्रयोग कर रही है और जमीनी हकीकत में मां को बचाने के लिए कुछ नहीं कर रही है। आप मां और प्रभु राम के आशीर्वाद से 2014 में लोकसभा चुनाव जीतकर देश की सत्‍ता पर आरुढ़ हुए। परंतु आप उनको भूल गए। विकास के नाम पर मां का दोहन जारी है। मां के लहू की अंतिम बूंद भी आप पी लेना चाहते हो। आपने लोक लुभावनी चालाकियों के बल पर सत्‍ता हासिल की। भले ही आप सत्‍ता पर काबिज हैं, परंतु मेरा जो हक है उसके आधार पर मैं तीन तुमसे तीन उपेक्षाएं रखता हूं।

प्रभु श्रीराम दे मेरी हत्‍या का दंड
गुरुवार को गंगा पर कुर्बान होने वाले स्‍वामी ज्ञान स्‍वरूप सानंद उर्फ मशहूर पर्यारणविद् प्रो जीडी अग्रवाल ने पत्र के अंत में लिखा कि मैया की इस तरह की उपेक्षा से उनको मिलती अहसय यातना से मेरा जीवन भी यातना मय हो गया है। यदि मेरी तीनों उपेक्षाएं पूरी नहीं होती तो मैं 22 जून को गंगा दशहरा पर आमरण उपवास पर बैठ जाऊंगा और भगवान राम से गंगा मैया का अहित करने और मेरी हत्या करने के अपराध पर तुम्‍हें (मोदी) को समुचित दंड देने की प्रार्थना करता हुआ प्राण त्‍याग दूंगा।

आप भी पढ़े संत सानंद का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा मार्मिंक पत्र। इस पत्र को संत सानंद के देह त्‍याग वाले दिन praharlive.com (https://praharlive.com/pm-modi-ko-diya-shrap/) ने जारी किया था।



(उपरोक्‍त लेख संत समाज की धार्मिक धारणा पर आधारित है, जबकि विज्ञान इसको नहीं मानता है। ये पढ़ने वाले पाठक पर निर्भर है कि वह इस लेख को किस रूप में लेता है। यदि इस लेख से किसी की भावना को ठेस पहुंचती है, तो इसके लिए माफी चाहते हैं।) 

Sunday, September 9, 2018

अब सवर्णों के NOTA प्रचार को भाजपा ने बनाया हथियार, गढ़ दी ये नई परिभाषा



नई दिल्‍ली [सुनीता कुमारी]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शब्‍दों की नई-नई परिभाषा गढ़ने की कला में अब भाजपा कार्यकर्ता भी परांगत होने लगे हैं। पश्चिम उत्‍तर प्रदेश भाजपा ने देशभर में एससी/एसटी एक्‍ट को लेकर सवर्णों में पनप रही नाराजगी को देखते हुए नोटा (NOTA) का नया ही मतलब गढ़ दिया है। उसने NOTA को नए रूप में परिभाषित करते हुए लिखा है 'नमो वन टाइम अगेन' 2019। जिसका हिंदी में मतलब है 'नमो एक बार फिर' 2019 में।

एससी/एसटी एक्‍ट पर उच्‍चतम न्‍यायालय के फैसले को संसद द्वारा बदल डालने पर सवर्ण समाज भारतीय जनता पार्टी समेत सभी पार्टियों से नाराज हैं। केंद्र में सत्‍तारुढ़ होने की वजह से सवर्ण समाज की नाराजगी भाजपा से कुछ ज्‍यादा ही नजर आ रही है। संसद द्वारा एससी/एसटी एक्‍ट में संशोधन कर उच्‍चतम न्‍यायालय के फैसले को पलटने पर सवर्ण समाज भाजपा को उसी कटघरे में खड़ा कर रहा है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री स्‍वर्गीय राजीव गांधी को शाहबानो प्रकरण में भाजपा आज तक खड़ी करती आ रही है। जिसमें मुसलिम समुदाय के दबाव में राजीव गांधी सरकार ने संसद में उच्‍चतम न्‍यायालय के फैसले को पलट दिया था। 

भाजपाशासित मध्‍य प्रदेश में इसका मुखर विरोध तब देखने को मिला, जब सीधी जिले की चुरूहट विधानसभा क्षेत्र में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान उनके रथ पर पथराव किया गया और जूता फेंका गया। इस पथराव में रथ का शीशा भी टूट गया था। मप्र में कांग्रेस नेताओं सिंधिया और कमलनाथ को भी सवर्णों का विरोध सहना पड़ा। सवर्णों के सोशल मीडिया द्वारा आहूत 6 सितंबर के बंद का मप्र, बिहार समेत कई राज्‍यों में जबरदस्‍त प्रभाव देने को मिला।

मप्र में विधानसभा चुनाव नजदीक है और सवर्ण समाज के बढ़ते विरोध प्रदर्शन से भाजपा और कांग्रेस के प्रचार कार्यक्रम बाधित होने लगे हैं। इस प्रचड़ विरोध के चलते दोनों पार्टियों के वरिष्‍ठ नेताओं की पेशानियों पर बल पड़े हुए हैं। ऊपर से सोशल मीडिया के जरिए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत का अहसास दिखाने और सवर्ण समाज के हितों पर लगातार हो रहे कुठाराघात के खिलाफ नोटा बटन को दबाने के आह्वान की मुहिम ने सभी पार्टी के नेताओं की नींद उड़ा दी है। इस मुहिम से सबसे अधिक चिंतित भाजपा नजर आ रही है।क्‍योंकि उसका सबसे बड़ा परंपरागत मतदाता सवर्ण समाज ही है। ऐसे में पश्चिम उत्‍तर प्रदेश भाजपा नोटा की नई परिभाषा मोदी नाम के साथ गढ़ कर विपरित हवाओं को अपने पक्ष में मोड़ने का प्रयास कर रही है। टि्वटर (@upwestbjp) पर मोदी की एक आकर्षक मुद्रा वाली फोटो के साथ 'NOTA' का मतलब लिखा है-
N - NaMo
O - One
T - Time
A - Again
2019

कहीं उल्‍टा न पड़ जाए दांव
इस ट्वीट को भाजपा के बड़े नेता भी लाइक कर रहे हैं। अब देखना यह है कि नोटा की ये नई परिभाषा कमल के निशान पर बटन दबाने के रूप में बदलती है या फिर भाजपा के लिए आत्‍मघाती गोल साबित होती है। कहीं भाजपा को वोट देने वाला कम पढ़ा लिखा मतदाता इस नई परिभाषा से दिग्‍भ्रमित होकर कहीं नोटा का बटन ही ना दबा दे ये सोच कर इसी बटन को दबाने से ही मोदी जी जीतेंगे। 

Tuesday, August 28, 2018

बाबा बालक नाथ चालीसा




गुरु चरणों में सीस धर करुं प्रथम प्रणाम
बखशो मुझ को बाहुबल सेव करुं निष्‍काम
रोम रोम में रम रहा, रुप तुम्‍हारा नाथ
दूर करो अवगुण मेरे, पकड़ो मेरा हाथ

बालक नाथ ज्ञान (गिआन) भंडारा,
दिवस रात जपु नाम तुम्‍हारा,

तुम हो जपी तपी अविनाशी,
तुम हो मथुरा काशी,

तुमरा नाम जपे नर नारी,
तुम हो सब भक्‍तन हितकारी,

तुम हो शिव शंकर के दासा,
पर्वत लोक तुम्‍हारा वासा,

सर्वलोक तुमरा जस गावें,
ॠषि(रिशी) मुनि तब नाम ध्‍यावें,

कन्‍धे पर मृगशाला विराजे,
हाथ में सुन्‍दर चिमटा साजे,

सूरज के सम तेज तुम्‍हारा,
मन मन्दिर में करे उजारा,

बाल रुप धर गऊ चरावे,
रत्‍नों की करी दूर वलावें,

अमर कथा सुनने को रसिया,
महादेव तुमरे मन वसिया,

शाह तलाईयां आसन लाये,
जिसम विभूति जटा रमाये,

रत्‍नों का तू पुत्र कहाया,
जिमींदारों ने बुरा बनाया,

ऐसा चमत्‍कार दिखलाया,
सबके मन का रोग गवाया,

रिदिध सिदिध नवनिधि के दाता,
मात लोक के भाग विधाता,

जो नर तुमरा नाम ध्‍यावें,
जन्‍म जन्‍म के दुख विसरावे,

अन्‍तकाल जो सिमरण करहि,
सो नर मुक्ति भाव से मरहि,

संकट कटे मिटे सब रोगा,
बालक नाथ जपे जो लोगा,

लक्ष्‍मी पुत्र शिव भक्‍त कहाया,
बालक नाथ जन्‍म प्रगटाया,

दूधाधारी सिर जटा रमाये,
अंग विभूति का बटना लाये,

कानन मुंदरां नैनन मस्‍ती,
दिल विच वस्‍से तेरी हस्‍ती,

अद्भुत तेज प्रताप तुम्‍हारा,
घट-घट के तुम जानन हारा,

बाल रुप धरि भक्‍त रिमाएं,
निज भक्‍तन के पाप मिटाये,

गोरख नाथ सिद़ध जटाधारी,
तुम संग करी गोष्‍ठी भारी,

जब उस पेश गई न कोई,
हार मान फि‍र मित्र होई,

घट घट के अन्‍तर की जानत,
भले बुरी की पीड़ पछानत,

सूखम रुप करें पवन आहारा,
पौनाहारी हुआ नाम तुम्‍हारा,

दर पे जोत जगे दिन रैणा,
तुम रक्षक भय कोऊं हैना,

भक्‍त जन जब नाम पुकारा,
तब ही उनका दुख निवारा,

सेवक उस्‍तत करत सदा ही,
तुम जैसा दानी कोई ना ही,

तीन लोक महिमा तव गाई,
अकथ अनादि भेद नहीं पाई,

बालक नाथ अजय अविनाशी,
करो कृपा सबके घट वासी,

तुमरा पाठ करे जो कोई,
वन्‍ध छूट महा सुख होई,

त्राहि-त्राहि में नाथ पुकारुं,
दहि अक्‍सर मोहे पार उतारो,

लै त्रशूल शत्रुगण मारो,
भक्‍त जना के हिरदे ठारो,

मात पिता वन्‍धु और भाई,
विपत काल पूछ नहीं काई,

दुधाधारी एक आस तुम्‍हारी,
आन हरो अब संकट भारी,

पुत्रहीन इच्‍छा करे कोई,
निश्‍चय नाथ प्रसाद ते होई,

बालक नाथ की गुफा न्‍यारी,
रोट चढ़ावे जो नर नारी,

ऐतवार व्रत करे हमेशा,
घर में रहे न कोई कलेशा,

करुं वन्‍दना सीस निवाये,
नाथ जी रहना सदा सहाये,

बैंस करे गुणगान तुम्‍हारा,
भव सागर करो पार उतारा।



आरती बाबा बालक नाथ जी की

ओम् जय कलाधारी हरे, स्‍वामी जय पोणाहारी हरे
भगत जनों की नेय्‍या, भव से पार करें। ओम् जय…

बालक उम्र सुहानी, नाम बाबा बालक नाथा
अमर हुए शंकर से, सुन कर अमर कथा। ओम् जय…

शीश पे बाल सुनहरी, गल रुद्राक्षी माला
हाथ में झोली चिमटा, आसन मृग शाला। ओम् जय…

सुन्‍दर सेली सिंगी, वेरागन सोह
गो पालक रखवाला, भगतन मन मोह। ओम् जय…

अंग भभूत रमाई, मूर्ति प्रभू अंगी
भय भंजन दुख नाशक, भर्तरी के संगी। ओम् जय…

रोट चढ़त रविवार को, फूल मिश्री मेवा
धूप दीप चन्‍दन से, आनन्‍द सिद़ध देवा। ओम् जय…

भगतन हित अवतार लियो, स्‍वामी देख के कलि काला
दुष्‍ट दमन शत्रुध्‍न, भगतन प्रति पाला। ओम् जय…

बाबा बालक नाथ जी की आरती, जो नित गावे
कहत है सेवक तेरे, सुख सम्‍पति पावे। ओम् जय…