file photo source: social media
भारतीय सनातन पराम्परा युगों से युगों से चली आ रही है, हमारे ऋ़षि मुनि विद्वानों ने मानव जीवन को जीने का एक पद्धति विकसित की और बताया कि हमें अपना जीवन किन मूल्यों पर किस सिद्धांत पर कैसे जीना चाहिए। क्या हमें उपवास जैसे दिनों में करवा चौथ के दिन पति पत्नी का समागम उचित मान सकते हैं, यूं तो उपवास के दिन पवि़त्रता के साथ मनाना चाहिए विशेषकर करवाचौथ, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का दिन है इस दिन विवाहित स्त्रियां द्वारा पति की लम्बी आयु के लिए माता पार्वती और भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करती है! पर यह सवाल उठता है कि क्या इस दिन पति पत्नी आपस में शारीरिक मिलन कर सकतें हैं, जी हां कुछ विशेष परिस्थितियों में पति पत्नी द्वारा मिलन की जा सकती है, जिस किसी की एक भी संतान नहीं है तो ऐसे जोडे संतान की कामना से मिलन कर सकते हैं पर वह भी विशेष समय मुहूर्त में उस क्षण विशेष में जब गर्भ ठहरने की क्रिया हो!
उच्च कोटि की आत्मा विशेष क्षण में ब्रहृमाण में विचरण करती है वो भी उस गर्भ का चयन करती है तब पति पत्नी का मिलन होने पर विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न शिशु का जन्म होता है, उसके लिए उन विद्वानों का मार्ग दर्शन लेना चाहिए, जिसे काल को ज्ञान हो वहीं उस क्षण विशेष के बारें में बता सकता है और क्षण विशेष में पति पत्नी द्वारा मिलन करने पर निश्चत ही उत्पन्न होने वाला संतान प्रतिभा सम्पन्न होगी।
यूं तो उपवास के दिनों में सिर्फ आनन्दातिरेक में मिलन करना आध्यातिमक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण निषेद्य ही माना गया है।
स्वामी श्रेयानंद महाराज
No comments:
Post a Comment