Sunday, October 3, 2010

पंचग्रही योग में नवरात्रों का प्रारंभ

इस वर्ष अद्भुत पंचग्रही योग में नवरात्रों का प्रारंभ हो रहा है, इसमें..
होगा आपकी सारी समस्याओं का समाधान
मिलेगा आपको मनचाहा मान-सम्मान
पीछा छूटेगा आपका अपमानों के दौर से
फैलेगा आपका सुयश समाज में
मिलेगा आपको मनचाहा धन। कारोबारी समस्याओं का होगा समाधान
साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। यात्राओं में होगी बल्ले-बल्ले
यदि आपके पास मकान नहीं तो मिलेगा मकान। अगर वाहन नहीं है तो मिलेगा वाहन
संतान को मिलेगी मनचाही सफलता
शत्रुओं से छूटेगा पीछा। कानूनी विवादों में आप होंगे सफल
वैवाहिक समस्याओं का होगा संपूर्ण निवारण। यदि आपका विवाह नहीं हुआ है तो बनेगा योग विवाह का
रोगों से मिलेगा छुटकारा
धर्म में बढ़ेगी आपकी आस्था
संपूर्ण कारोबारी समस्याओं का निवारण होगा। और व्यवसाय में होगा लाभ
अनावश्यक विघन्, दुर्घटनाओं से पीछा छूटेगा और मन होगा बाग-बाग
क्योंकि कन्या राशि में सूर्य, चंद्रमा, शनि और बुध। मीन राशि में स्थित बृहस्पति अपनी पूर्ण सप्तम दृष्टि से इन पंचग्रही योग में नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं जो आपके जीवन की संपूर्ण समस्याओं का निवारण कर रहे हैं।
घट स्थापना का समय
8 अक्टूबर शुक्रवार से नवरात्र प्रारंभ हो जाएंगे। घट स्थापना आश्विन शुक्ल  पक्ष प्रतिपदा को चित्रा नक्षत्र एवं वैद्धति योग रहित समय में द्विस्वभाव लग्न प्रात: या मध्याह्न में की जाती है। इस वर्ष 8 अक्टूबर 2010 को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा है परन्तु उस दिन चित्रा नक्षत्र एवं वैद्धति योग रहित लग्न का अभाव है।  ऐसी स्थिति में मेरा अनुभव यह कहता है कि या तो लाभ का चौघडि़या में घट स्थापना करना चाहिए या अभिजित मुहू‌र्त्त में घट स्थापना करनी चाहिए और उस दिन लाभ का चौघडि़या है प्रात: 7.30 बजे से 9 बजे तक और अभिजित मुहूर्त है 12 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजे तक है। परंतु इस दिन 12 बजकर 40 मिनट पर शुक्र वक्री हो रहा है। इसलिए इससे पहले घट स्थापना होना अति आवश्यक है।
इन नवरात्रों में ग्रह योगायोग का बारह राशियों पर क्या प्रभाव रहेगा
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा नवरात्र से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवरात्रों तक का द्वादश राशियों में ग्रहों का भ्रमण निम्न प्रकार है:-
सूर्य चंद्र बुध शनि कन्याराशि में। मंगल शुक्र तुला राशि में। बृहस्पति मीन राशि में। राहु धनु राशि में और केतु मिथुन राशि में और यह ग्रह योगायोग अलग-अलग राशि वालों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करेगा।
मेष राशि:- मेष राशि वालों शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक समय अति उत्तम रहेगा।
- व्यवसाय में सफलता मिलेगी।
- परिश्रम के अनुकूल धन लाभ होगा।
- प्रतिस्पर्धा और कम्पीटिशन में मान-सम्मान मिलेगा।
-दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहेगा।
- घर में सुख के साधनों की वृद्घि होगी।
- मनोनुकूल लंबी यात्राओं का योग भी है।
वृष राशि:- वृषभ राशि वालों को शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय अनुकूल व सफलता का संकेत दे रहा है।
- संतान पक्ष को सफलता प्राप्त होगी।
- घर में मांगलिक कार्य संपन्न होंगे।
- आय के साधनों में वृद्धि होगी।
- स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
- व्यवसाय संबंधी लंबी यात्राओं का योग भी नजर आ रहा है।
मिथुन राशि:- मिथुन राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत का समय संघर्ष पूर्ण रहेगा।
- कारोबार में सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।
- पारिवारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
- अनावश्यक खर्चो में वृद्धि होगी।
- यात्राओं में तकलीफ की प्रबल संभावना।
- किसी महिला मित्र से अपमान की संभावना नजर आ रही है।
कर्क राशि:- कर्क राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय अति अनुकूल नजर आ रहा है।
- आर्थिक सुदृढ़ता बढ़ेगी।
- पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी।
- कम प्रयत्न में अधिक सफलता का योग नजर आ रहा है।
- स्वजनों एवं पारिवारिक सदस्यों का अनुकूल सहयोग प्राप्त होगा।
- यदि आप अविवाहित है तो विवाह का प्रबल योग है।
- विवाहित हैं तो वैवाहिक सुख में वृद्धि होगी।
- आय के साधनों में वृद्धि होगी।
सिंह राशि:- सिंह राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय अनुकूलता का संकेत नहीं दे रहा है।
- किए गए प्रयासों के अनुकूल फल प्राप्त नहीं होंगे।
- आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
- न चाहते हुए भी धन खर्च बढ़ेगा।
- स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना होगा।
- पारिवारिक सहयोग की कमी रहेगी।
- दांपत्य जीवन के सुख में कमी आएगी।
- पार्टनर के साथ वैचारिक मतभेद हो सकते हैं।
कन्या राशि:- कन्या राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा।
- आर्थिक दृष्टि कोण से समय अति अनुकूल रहेगा।
- किए गए प्रयास सफल होंगे।
- मनोनुकूल कार्य बनेंगे और धन की भी प्राप्ति होगी।
- परंतु पारिवारिक सौहार्द्र में कमी आएगी।
- स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहेंगे।
तुला राशि:- तुला राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्र से लेकर वर्ष के  अंत तक का समय शुभ नजर नहीं आ रहा है।
- अप्रत्याशित विघन् और परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
- बेवजह लंबी यात्राओं में तकलीफ आएगी।
- आर्थिक स्त्रोतो में कमी आएगी।
- स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।
- शत्रुता में वृद्धि होगी।
- इसके साथ-साथ संतान पक्ष को लेकर भी तुला राशि वालों को सावधान रहना पड़ेगा।
वृश्चिक राशि:- वृश्चिक राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय सफलता का संकेत दे रहा है।
- कारोबार में मनोनुकूल सफलता हासिल होगी।
- अपने कॅरियर के लिए परेशान युवकों को सफलता मिलेगी।
- कारोबार में मनोनुकूल साझेदारों की प्राप्ति होगी।
- दांपत्य सुख में वृद्धि होगी।
- स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
- समाज में मान और प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
- रुके हुए कार्य सरलता से पूरे होंगे।
- संतान सुख में वृद्घि होगी।
- और यह समय मनोनुकूल जीवन साथी चुनने का भी है, इसमें सफलता मिलेगी।
धनु राशि:- धनु राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय मिलाजुला रहेगा।
- इस समय कार्यो में परिवर्तन न करें।
- चलते हुए कार्य में विशेष ध्यान दें, सफलता मिलेगी।
- सरकारी कार्यो में मनोनुकूल सफलता प्राप्त होगी।
- जमीन-जायदाद के सौदों में लाभ की आशा की जा सकती है।
- स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
- परंतु शादी-विवाह संबंधित कार्यो में सावधानी बरतनी पड़ेगी।
- विरोधी विघन् डाल सकते हैं।
मकर राशि:- मकर राशि वालो के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय सामान्य रहेगा।
- लाभ प्राप्ति के लिए व्यवसाय में कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।
- पारिवारिक सदस्यों को साथ लेकर चलना पड़ेगा।
- अत्यधिक आत्मविश्वास हानि का कारण बन सकता है, ध्यान रखें।
- बुजुर्गो की सलाह के बिना कार्य प्रारंभ न करें।
- यह समय पूंजी निवेश के लिए एवं नए कार्य शुरू करने के लिए अनुकूल नजर नहीं आ रहा है।

कुंभ राशि:- कुंभ राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय शुभ नजर नहीं आ रहा है।
- व्यापार में कठिन परिश्रम का सामना करना पड़ेगा।
- किए गए प्रयास सफल नहीं होंगे।
- अनावश्यक खर्चो में वृद्घि नहीं होगी।
- पारिवारिक सदस्यों का साथ नहीं मिल पाएगा।
- साथ ही दांपत्य सुख में भी कमी आएगी।
मीन राशि:- मीन राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय उत्तम फलों से भरा रहेगा।
- रुके हुए कार्यो में सफलता मिलेगी।
- अकस्मात धन लाभ होगा।
- नए व्यावसायिक संबंध बनेंगे।
- संतान सुख में वृद्धि होगी।
- संतान की शादी संबंधी समस्याओं का निवारण होगा।
- आय के साधनों में मनोनुकूल सफलता प्राप्त होगी।
- व्यावसायिक यात्राएं लाभ देंगी।
- स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा।
- अनावश्यक खर्चो में कमी आएगी।

नवरात्रों में भोग-प्रसाद बदलेगा आपका भाग्य
नवरात्रों में भगवती के नौ दिनों के भोग-प्रसाद आपके जीवन की किस्मत की चाबी आपके हाथ में दे देगा।
यह भोग आपका किस्मत से कनेक्शन कर देगा।
यह भोग भाग्य का सितारा चमका देगा यह भोग करेगा धन की बरसात
यह भोग आपके घर में लाएगा लक्ष्मी
यह भोग आपके दांपत्य जीवन में खुशहाली लाएगा
यह भोग आपके संपूर्ण जीवन के दु:खों को मिटाएगा
नवरात्र का पहला दिन माँ शैलपुत्री का- इस दिन भगवती जगदम्बा की गोघृत से पूजा होनी चाहिये अर्थात् षोडशोपचार से पूजन करके नैवेद्य के रूप में उन्हें गाय का घृत अर्पण करना चाहिए एवं फिर वह घृत ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इसके फलस्वरूप मनुष्य कभी रोगी नहीं हो सकता।
नवरात्र का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी का- इस दिन पूजन करके भगवती जगदम्बा को चीनी का भोग लगाएं और ब्राह्मण को दे दें। यों करने से मनुष्य दीर्घायु होता है।
नवरात्र का तीसरा दिन माँ चंद्रघण्टा का-  भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए एवं पूजन के उपरांत वह दूध किसी ब्राह्मण को दे देना उचित है। यह संपूर्ण दु:खों से मुक्त होने का एक परम साधन है।
नवरात्र का चौथा दिन मां कूष्माण्डा का-  इस दिन मालपूआ का नैवेद्य अर्पण किया जाय और फिर वह योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाए। इस अपूर्व दानमात्र से ही किसी प्रकार के विघ्न सामने नहीं आ सकते।
नवरात्र का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता का-  इस दिन पूजा करके भगवती क ो केले का भोग लगाएं और वह प्रसाद ब्राह्मण को दे दें, ऐसा करने से पुरुष की बुद्धि का विकास होता है।
नवरात्र का छठा दिन माँ कात्यायनी का-  इस दिन देवी के पूजन में मधु का महत्त्‍‌व बताया गया है। वह मधु ब्राह्मण अपने उपयोग में ले। इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।
नवरात्र का सातवां दिन मां कालरात्रि का-  इस दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पण करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है।
नवरात्र का आठवां दिन मां महागौरी का-  इस दिन भगवती को नारियल का भोग लगाना चाहिए। फिर नैवेद्य रूप वह नारियल ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इसके फलस्वरूप उस पुरुष के पास किसी प्रकार के संताप नहीं आ सकते।
नवरात्र का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री का-  इस दिन भगवती को धान का लावा अर्पण करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इस दान के प्रभाव से पुरुष इस लोक और परलोक में भी सुखी रह सकता है।
ये बारह मंत्र आपकी मनोकामनाओं को पूरा करेंगे
दिलाएंगे पैसा, गाड़ी और बंगला
घर में आएगी खुशियां
दूर होगा आपका दारिद्र
आप पर होगी लक्ष्मी मेहरबान
दुश्मनों से पीछा छूटेगा
व्यापार में होगी बढ़ोतरी
बेरोजगारों को मिलेगा रोजगार
यदि आप नौकरी में हैं तो मिलेगा आपको प्रमोशन
बॉस होगा आपसे खुश
दांपत्य जीवन में आएगी खुशियां
मेष राशि:- मेष राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती चंद्रघंटा देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें मसूर के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर लाल चंदन की माला पर श्रद्घानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ चंद्रघंटा दैव्ये नम:॥

वृष राशि:- वृष राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कात्यायनी देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें चावल के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर स्फटिक की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रिये नमो भगवति मम् समषद्विशै ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि मम् अलक्ष्मी नाषय हुं फट् स्वाहा।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कात्यायनी दैव्ये नम:॥
मिथुन राशि:- मिथुन राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कुष्मांडा देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा तेल का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें साबूत मूंग के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर हरे हकीक की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ यक्षाय कुबेराय वेश्रवणाय धन धान्यं समृद्धि में देहि दापय दापय स्वाहा।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कुष्मांडा दैव्ये नम:॥

कर्क राशि:- कर्क राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती ब्रह्मचारिणी देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें लौंग के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर रुद्राक्ष की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ ह्रीं कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्यं समृद्धि देहि देहि नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ ब्रह्मचारिणी दैव्ये नम:॥
सिंह राशि:- सिंह राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती शैलपुत्री देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा तेल का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें गेहूं के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर लाल चंदन की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ लं लक्ष्मयै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ शैलपुत्री दैव्ये विच्चे नम:॥

कन्या राशि:- कन्या राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कुष्मांडा देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा तेल का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें साबूत मूंग के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर हरे हकीक की माला पर श्रद्घानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ धं ह्रीं श्रीं रतिप्रियै स्वाहा।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कुष्मांडा दैव्ये नम:॥
तुला राशि:- तुला राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कात्यायनी देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा तेल का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 1 इलायची डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर स्फटिक की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप करें।
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:॥
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कात्यायनी दैव्ये नम:॥
वृश्चिक राशि:- वृश्चिक राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्याेित जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती चंद्रघंटा देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें साबूत मसूर के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर लाल चंदन की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ ह्रीं कमल वासिन्यै प्रत्यक्ष ह्रीं फट्॥
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ चंद्रघंटा दैव्ये नम:॥
धनु राशि:- धनु राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती स्कंद माता देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में हल्दी की 1 गांठ डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर हरिद्रा की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी ममगृहे धनं चिन्ता दूर करोति स्वाहा।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ स्कंद माता दैव्ये नम:॥

मकर राशि:- मकर राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कालरात्री देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 काली मिर्च डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर कमल गट्टे की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ महालक्ष्मयै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कालरात्री दैव्ये नम:॥
कुंभ राशि:- कुंभ राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कालरात्री देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें साबूत उड़द के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर कमल गट्टे की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ लं लक्ष्मयै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कालरात्री दैव्ये नम:॥

मीन राशि:- मीन राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती स्कंद माता का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें चने की दाल के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर हरिद्र की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ स्कंद माता दैव्ये नम:॥



[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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