Sunday, October 10, 2010

भगवती कूष्माण्डा की उपासना



नवरात्र के चौथे दिन आयु, यश, बल व ऐश्वर्य को प्रदान करने वाली भगवती कूष्माण्डा की उपासना-आराधना का विधान है। इस दिन साधक जन अपने मन को अनाहत चक्र में स्थित करके मां कूष्मांडा की कृपा प्राप्त करते हैं। मां सृष्टि की आदि स्वरूपा तथा आदि शक्ति हैं। मां के इसी रूप ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण मां  को कूष्मांडा कहा गया है। मां का निवास सूर्य मंडल के भीतर के लोक में है। इन्हीं के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हैं। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब भगवती कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। इनकी आठ भुजाएं हैं। उनके सात भुजाओं में - कमण्डल, धनुष, बाण, कमल पुष्प कलश चक्र एवं गदा शोभायमान हैं। आठवें हाथ में जप की माला है जो अष्ट सिद्धि एवं नौ निधियों को देने वाली है। मां भगवती सिंह पर सवार हैं और इनको कुम्हडों (काशीफल या कद्दू) की बलि अत्यंत प्रिय है। मां पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति भाव से की गई साधना से तुरंत प्रसन्न होकर अपने भक्त ों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं तथा हर प्रकार से मंगल करती हैं।

नवरात्र का चौथा दिन भगवती कूष्माण्डा की आराधना का दिन है। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन अनाहत चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। वे गुरु कृपा से प्राप्त ज्ञान विधि का प्रयोग कर कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कर शास्त्रोक्त फल प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं।

अनाहत चक्र चंद्र ग्रह का आधिपत्य होता है। इसका लोक - मह लोक, मातृ देवी - वैष्णवी, देवता - ईश्वर (हंसेश्वर और हंसेश्वरी), तन्मात्रा - स्पर्श। तत्व - वायु। इसका स्थान हृदय के पास है और अधिष्ठात्री देवी - काकिनी (श्वसन तंत्र)। इसका प्रभाव - यहां आत्मा परमात्मा के साथ वास करती है जैसे एक गुरु और एक चेला, मौन रहकर सब कुछ का प्रत्यक्ष होना और सीखना। सुख-दु:ख से परे और भक्ति के मार्ग की ओर अग्रसर होना।



साधना विधान-

सर्वप्रथम मां कूष्मांडा की मूर्ति अथवा तस्वीर को चौकी पर दुर्गा यंत्र के साथ स्थापित करें इस यंत्र के नीचें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं। अपने मनोरथ के लिए मनोकामना गुटिका यंत्र के साथ रखें। दीप प्रज्ज्वलित करें तथा हाथ में पीलें पुष्प लेक र मां कूष्मांडा का ध्यान करें।



ध्यान मंत्र -

सुरा सम्पूर्ण कलशं रू धिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

ध्यान के बाद हाथ के पुष्प चौकी पर अर्पण करें तथा भगवती कूष्मांडा और यंत्र का पंचोपचार विधि से पूजन करें और पीले फल अथवा पीले मिष्ठान का भोग लगाएं। इसके बाद मां का 108 बार मंत्र जाप करें - ॐ क्रीं कूष्मांडायै क्रीं ॐ। इसके बाद मां की प्रार्थना करें। कुम्हडे (काशीफल या कद्दू) की बलि भी दे सकते हैं तथा मां की आरती, कीर्तन आदि करें।


आयु, यश, बल व ऐश्वर्य प्रदान करने वाला अद्भुत प्रयोग

संपूर्ण परिश्रम, प्रयास और कठिन मेहनत के बावजूद बदनामी का सामना करना पड रहा हो, समाज में जग हंसाई हो रही हो, व्यापार वृद्धि के लिए किए गए सम्पूर्ण प्रयास विफल हो रहे हो, तो आज का दिन उन लोगों के लिए बहुत महत्त्‍‌वपूर्ण है। चार कुम्हडे (काशीफल या कद्दू), चौकी पर लाल कपडा बिछा कर इन सबको उस पर रख दें। धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प अर्पित करने के बाद पांच माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम:, एक माला ॐ शं शनैश्चराय नम: का जाप करें। तत्पश्चात इनको अपने ऊपर से 11 बार उसार लें, उसारने के बाद छोटे-छोटे टुकडे करके किसी तालाब में डाल दें। सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी।


चर्म रोगों से छुटकारा के लिए अद्भुत प्रयोग

जिन्हें बार-बार, शरीर में फोडे-फुंसी होती हो या कोई न कोई चर्म रोग हमेशा रहता हो उन्हें आज के दिन यह उपाय प्रारंभ करना लाभदाय रहेगा। एक चांदी की कटोरी ले लें उसमें स्वच्छ जल भर कर 18 पत्ते तुलसी के, 9 पत्ते नीम के और 3 पत्ते बेलपत्र के डाल लें। अपने सामने स्वच्छ आसन पर रख दें। तत्पश्चात घी का दीपक और चंदन का धूप जला कर एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम: और शनि पत्नी नाम स्तुति की एक माला करने से लाभ होगा।


डूबा हुआ पैसा प्राप्ति का सरल उपाय

यदि आपका पैसा कहीं फंस गया हो, या जिसको भी आप पैसा देते हैं वह पैसा वापस नहीं देता हो, तो 11 गोमती चक्र को हरे कपडे में बांध कर पवित्र थाली में अपने सामने रख दें, घी का दीपक जलाएं, एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम: और एक माला ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: का जाप करें। तत्पश्चात इस सामग्री को किसी सुनसान जगह में उस व्यक्ति का ध्यान करते हुए गढ्डा खोद कर दबा दें। इस उपाय से आपका धन आपको वापस अवश्य मिलेगा। उपाय आज के दिन दोपहर 12 बजे से शुरू करें और लगातार 43 दिन तक नियमित करें।


ग्रह पीडा निवारण

जिस जातक की जन्म कुंडली में बुध कमजोर हो या बुध की वजह से आपके जीवन में कोई परेशानी आ रही हो तो मां भगवती कूष्माण्डा का मंत्र का जाप करना बहुत ही शुभ रहेगा।

[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
http://www.shanidham.in/