Tuesday, April 7, 2009

सिख पत्रकार ने फेंका चिदंबरम पर जूता

नई दिल्ली। सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को सीबीआई द्वारा क्लीन चिट दिए जाने से उत्तेजित एक सिख पत्रकार ने केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम पर जूता फेंक दिया।

जूता फेंकने की इस घटना से कांग्रेस मुख्यालय में खलबली मच गई और जूता फेंकने वाले दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार जरनैल सिंह को पुलिस ने फौरन हिरासत में ले लिया। जरनैल सिंह ने पुलिस हिरासत में बयान देते हुए आवेश में जूता फेंकने पर बेहद अफसोस जताया लेकिन कहा कि 25 साल से सिखों के खिलाफ हो रही नाइंसाफी के बाद चिदंबरम द्वारा उनके सवाल के टालमटोल कारण उनके सामने ऐसी स्थिति पैदा हुई। पुलिस ने पूछताछ के बाद जरनैल सिंह को छोड़ दिया।
इराक की राजधानी बगदाद में पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश पर एक पत्रकार ने जूता फेंक मारा था और उसके बाद से विभिन्न नेताओं पर जूता फेंकने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। जरनैल ने कहा कि उनका उद्देश्य जूता मारना नहीं था, बल्कि सिखों के खिलाफ हो रही नाइंसाफी के खिलाफ अपना विरोध जताना चाहा था।
दैनिक जागरण के पैंतीस वर्षीय पत्रकार जरनैल सिंह कांग्रेस मुख्यालय की इस प्रेस कांफ्रेंस में सबसे अगली पंक्ति में बैठे हुए थे और भारत को आतंकवाद से संरक्षित करने के बारे में कांग्रेस पार्टी का संकल्प पत्र जारी किए जाने के मौके पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शुरुआत से ही सवाल पूछने के लिए आमादा थे। चिदंबरम ने जब उन्हें सवाल पूछने की अनुमति दी तो पत्रकार ने टाइटलर को सीबीआई द्वारा क्लीन चिट देने के खिलाफ आक्रामक तेवर में बोलना शुरू कर दिया। इस पर चिदंबरम समझाने की मुद्रा में कहने लगे कि यह मंच राजनीतिक बयानबाजी का नहीं है, आप सवाल पूछ सकते हैं।जरनैल सिंह ने गृहमंत्री से पूछा कि सीबीआई उनके तहत आती है और ऐन चुनाव के मौके पर टाइटलर को क्लीन चिट देने की यह साजिश क्या है इस पर चिदंबरम ने अपने चिर परिचित विनम्र अंदाज में कहा कि सीबीआई पर किसी ने दबाव नहीं डाला और अभी उसने मामले की रिपोर्ट कोर्ट को दी है। इस पर कोर्ट को निर्णय लेना है कि रिपोर्ट स्वीकार की जाए या नहीं, लेकिन जब जरनैल ने जवाब पर असंतोष जताया तो गृहमंत्री ने कहा कि वह यहां बहस नहीं करना चाहते।
इस पर जनरैल ने कहा कि सिखों को 25 साल से इंसाफ नहीं मिल रहा है और उन्होंने आई प्रोटेस्ट कहते हुए अपना जूता निकालकर चिदंबरम की ओर फेंका जो उनके दाहिनी ओर से निकल गया। चिदंबरम पत्रकारों को शांत रहने के लिए समझाते रहे और पंद्रह मिनट तक सम्मेलन चलता रहा, लेकिन किसी की दिलचस्पी फिर सवाल जवाबों में नहीं बची।
जूता फेंकने की इस घटना से संवाददाता सम्मेलन में खलबली मच गई, लेकिन चिदंबरम ने कहा कि एक पत्रकार के भावुक होने पर संयम बरता जाए और उन्होंने इस पत्रकार को शांतिपूर्वक बाहर ले जाने को कहा। दो तीन कांग्रेसी कार्यकर्ता उन्हें बाहर लाए और 24 अकबर रोड के बाहर मौजूदा पुलिस ने जरनैल सिंह को हिरासत में ले लिया। चिदंबरम द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई न करने की बात कहने के बाद पुलिस ने पूछताछ के बाद जरनैल सिंह को छोड़ दिया।
[साभार: एजेंसियां]


6 comments:

Anonymous said...

जरूरत जनरैल सिंह को छोड़ने की नहीं
टाइटलर को पकड़कर जेल में बन्द करने की है

सीबीआई का दुरुपयोग पर चिदम्बरम को तो शर्म आ रही होगी लेकिन माताजी का आदेश है,क्या करें

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

जिन गिने चुने नेताओं पर सिख हत्याओं के आरोप लगते रहे हैं... क्या उन आरोपों में कुछ सच्चाई नहीं ? भले ही विरोध का ये तरीका कोई भी स्वीकार न करे. वास्तव में, ये जूता मौजूदा न्याय-व्यवस्था के प्रति आक्रोश है. जिसके चलते इस देश में केवल गरीब को ही फांसी होती है, अमीर तो हत्या करके भी ज़मानत पर बाहर घूमता है और मौक़ा मिलते ही संसद में भी जा विराजता है. बेहाल आदमी करे तो क्या करे. न्याय की प्रतीक्षा में २५ साल तक त्रासदी से गुजरते हुए खप जाना क्या कम है ?

sarita argarey said...

तरीका ग़लत हो सकता है ,मगर मुद्दा सही है । कृपया उन्हें सिख या हिन्दू के चश्मे से नहीं देखें । एक आम हिन्दुस्तानी के आक्रोश को आवाज़ दी है उन्होंने ।

परमजीत सिहँ बाली said...

जब आदमी ्को न्याय न मिले तो हताशा तो होती ही है।तब बेबस आदमी क्या करे? वह गलत तरीके अपनाने से गुरेज़ नही करेगा।|लेकिन पता नही इस जूते का असर किसी पर होगा भी की नही।कांगेस से ऐसी उम्मीद करना बेकार ही लगता है।

Satish Chandra Satyarthi said...

हमारे यहाँ गलत चीजों की नक़ल लोग बड़ी जल्दी करते हैं.
मुद्दा कितना भी सही हो, ये जूता-चप्पल फेंकने वाला तरीका तो जायज नहीं कहा जा सकता न..

Anonymous said...

शिर्षक "सिख पत्रकार ने फेंका चिदंबरम पर जूता" की जगह "सिख पत्रकार ने फेंका हिंदु चिदंबरम पर जूता" ज्यादा उपयुक्त होता.