Sunday, August 28, 2011

अण्णा तेरे शुक्रगुजार हैं हम

भ्रष्ट तंत्र पर जनतंत्र की विजयश्री के सूत्रधार अण्णा हजारे का आज पूरा देश शुक्रगुजार हैं। ऐसे समय में जब देश भ्रष्टाचार के दलदल में डूबा हुआ है और आम आदमी इससे व इसके दुष्प्रभावों से बुरी तरह से त्रस्त है, तब एक ताजा हवा के झोंके की तरह अण्णा का आना और देशवासियों के दिल में एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत की अमिट छाप छोडऩा, सबकुछ एक चमत्कार जैसा ही है।

इसे 74 वर्षीय अन्ना का करिश्मा कहें या उनकी अन्नागिरी, आजादी के 64 साल के इतिहास में पहली बार जन के दबाव में तंत्र को झुकना पड़ा। भ्रष्टाचार के खिलाफ अण्णा के अनशन के 12वें दिन घुटनों के बल आई सरकार को संसद के दोनों सदनों में उनकी तीन प्रमुख मांगों पर चर्चा करानी पड़ी। सदन द्वारा सैद्धांतिक रूप से जनलोकपाल की प्रमुख तीन मांगों पर सहमति देते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ इस निर्णायक लड़ाई में पहली जीत की इबारत सुनहरे अक्षरों से लिख दी गई। जिसके जश्न में पूरा देश डूब गया।

यह सादगी की मूर्ति अण्णा का ही जादू था कि आम हो या खास हर कोई सदी के इस पहले ऐतिहासिक जन आंदोलन का गवाह बनने को बेकरार नजर आया। जात, पात व धर्म के बंधन की बेडिय़ां तोड़ हर कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक-साथ खड़ा नजर आया।

जनलोकपाल बिल बन जाने के बाद भी अण्णा की लड़ाई का मकसद तभी पूरा होगा, जब देश का हर वासी मन व कर्म से अण्णा बन जाए और उनका मूलमंत्र अपना ले। इसके बिना न ही भ्रष्टाचार दूर होगा और न ही अण्णा का सपना।

-राजेश

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