गरीबों की सेवा का दंभ भरकर वाहवाही बटोरने वाले समाज सेवकों की भरमार होने के बावजूद इसी समाज में गरीबी, भूख, ठंड से जूझता एक इंसान अंतिम सांसे गिनने को मजबूर हो रहा है।
कुछ ऐसा ही नजारा कुल्टी रांची ग्राम मोड़ में इन दिनों देखने को मिल रहा है। जहां विगत एक पखवाड़े से एक 80 वर्षीय वृद्ध बिरजू मौत के इंतजार में लावारिस पड़ा अंतिम सांसे गिन रहा है। बिरजू की ये हालात समाज के उन ठेकेदारों के लिए करारा तमाचा है, जो सुरा और सुंदरी पर तो हजारों रुपये पानी की तरह बहाते है। परंतु जब एक इंसान सहायता की टकटकी लगाए जीवन की भीख मांगता है तो उसे लोग तिरस्कार की नजर से देखते हैं।
पिछले एक पखवाड़े से गंदगी में पड़ा बिरजू वहीं पर मल त्याग करने से लेकर खाना खाने को मजबूर है। परंतु ताज्जुब की बात है कि कुछ लोग उसके सामने कपड़े और खाना तो फेंक जा रहे हैं, परंतु उसको बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए आगे बढ़ने से हिचक रहे हैं।
बताया जाता है कि बिरजू रांचीग्राम स्थित चमड़ा गोदाम के समीप रहने वाला है। जिसका कोई परिजन नहीं है। जिस स्थान पर वह पड़ा हुआ है वहां से हिलना तो दूर वह एक निवाला तक नहीं ले पा रहा है। रांचीग्राम जहां राजनीतिक और समाजसेवी लोगों का केंद्र है, वहां एक वृद्ध सड़क पर पड़ा-पड़ा दम तोड़े इससे बड़ा शर्म की बात नहीं हो सकती।
[साभार दैनिक जागरण]
Monday, January 19, 2009
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1 comment:
समाज सेवक तो तब आएंगे न जब उनके सामने कैमरा हो , पत्रकार हों और अखकारों में उनके नाम छपने की पूरी व्यवस्था हो।
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