Friday, October 29, 2010

खरीददारी का महामुहू‌र्त्त


1980 के बाद पहली बार दीवाली से पहले शनि पुष्य नक्षत्र का प्रबल योग धनतेरस से ठीक 4 दिन पहले खरीददारी का एक अद्भुत महामुहू‌र्त्त शनिवार और पुष्य नक्षत्र 30 साल के बाद आ रहा है। महामुहू‌र्त्त 29 अक्टूबर की अ‌र्द्धरात्रि 1:32 मिनट पर पुष्य नक्षत्र की शुरुआत से होगा, जो 30 अक्टूबर को रात 12:30 बजे तक रहेगा। ऐसे में 30 अक्टूबर शनिवार को दिनभर धनतेरस और दीवाली से पहले यानी पूरे दिन खरीददारी का अति शुभ मुहू‌र्त्त है। शनिवार के दिन भूमि-भवन, वाहन, सोना-चांदी, बर्तन, कपडा, इलेक्ट्रानिक के सामान आदि खरीदने के लिए अति शुभ मुहू‌र्त्त है।
सामान्यत: पुष्य नक्षत्र हमेशा सात या आठ घंटे के लिए रहता है। लेकिन 1980 के बाद 30 अक्टूबर 2010 शनिवार के दिन यह योग दिनभर रहेगा। पुष्य नक्षत्र पर किसी भी प्रतिकूल ग्रहों का प्रभाव नहीं पडता है। ज्योतिषीय शोध के अनुसार पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों का राजा है। और ब्रह्मांड में यह नक्षत्र तीन तारों से मिलकर बना है और यह तीन तारें मां काली, महालक्ष्मी और मां सरस्वती के प्रतीक माने जाते हैं। पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि और देवता गणपति हैं। और प्राचीन धर्म शास्त्रों एवं मनीषियों की यह मान्यता है कि इस नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु कभी नष्ट नहीं होती है। इस दिन खरीदी गई वस्तु पर तीन देवियों का आशीर्वाद, भगवान गणेश और श्री शनिदेव की कृपा बरसती है। इस बार दीवाली से मात्र 6 दिन पहले यह अद्भुत संयोग मालामाल कर देगा। अद्भुत योग है शनिवार का दिन है। चंद्रमा स्वराशि में है। शनि पुष्य योग के दिन शनिवार के दिन कुछ भी खरीदना लाभकारी माना जाता हैं। क्योंकि शनिवार स्थिर कार्यो के लिए श्रेष्ठ दिन माना गया है। इसीलिए इस दिन खरीददारी करने का महत्व ओर अधिक बढ जाता है। एक बात और कहना चाहता हूं आप लोगों से कि पुष्य नक्षत्र अन्य नक्षत्रों का बल हर लेता है। इसीलिए शनिवार के दिन पुष्य नक्षत्र होने से ओर अधिक बलशाली योग बनता है। इसीलिए भूमि-भवन, सोना-चांदी, वस्त्र, बहीखाते, दवात-कलम आदि खरीदना अति लाभकारी माना गया है।
मेष राशि:- मेष राशि वाले को पीतल, तांबे के बर्तन और तांबे की मां लक्ष्मी की मूर्ति, तांबे का लक्ष्मी यंत्र व मकान खरीदना अति शुभ रहेगा। दीवाली पूजन के लिए भी खील, बतासे, बहीखाते, वस्त्र खरीदना शुभ रहेगा। विशेष रूप से दक्षिणावर्ती शंख अवश्य खरीदें।
वृषभ राशि:- वृषभ राशि वालों को जमीन-जायदाद चांदी की लक्ष्मी जी की मूर्ति, चांदी का सिक्का जिस पर लक्ष्मी और गणेश जी हो, चांदी के आभूषण, टी.वी. आदि खरीदना उत्तम रहेगा। विशेष रूप से लक्ष्मी चरण पादुकाएं अवश्य खरीदें।
मिथुन राशि:- मिथुन राशि वालों को भूमि-भवन, चांदी का हाथी, चांदी का दीपक, और घर में लटकाने वाली वस्तुएं साथ ही इस दिन फ्रिज खरीदना अति उत्तम रहेगा। विशेष रूप से मोती शंख अवश्य खरीदें।
कर्क राशि:- कर्क राशि वालों को अपने इष्टदेव के लिए श्रद्धानुसार चांदी का छत्र या मुकुट व भगवान के श्रृंगार के कपडों के साथ जमीन-जायदाद में पूंजी निवेश करना अनुकूल व लाभदायक रहेगा। इस दिन खरीदना उत्तम रहेगा। विशेष रूप से स्फटिक की माला अवश्य खरीदें।
सिंह राशि:- सिंह राशि वालों को पीतल और तांबे के लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां खरीदना, छेद वाले तांबे के सिक्के, तांबे का श्री यंत्र व खील-बतासे के साथ-साथ इस दिन कंह्रश्वयूटर खरीदना उत्तम रहेगा। विशेष रूप से 108 रक्त गुंजा के दानें अवश्य खरीदें।
कन्या राशि:- कन्या राशि वाले इस दिन जमीन-जायदाद, भूमि-भवन, वाहनादि में पूंजी निवेश करें तो लाभ मिलेगा। विशेष रूप से अपने रहने के लिए मकान खरीदें तो अति लाभ होगा। दीवाली पूजन के लिए मिट्टी से बने हुए गणेश-लक्ष्मी जी खरीदें व घर में बंदनवार, आर्टिफिशल फूलों की लडी खरीदना शुभ रहेगा। विशेष रूप से लघु श्रीफल अवश्य खरीदें।
तुला राशि:- तुला राशि वालें इस दिन विशेष रूप से अपने कार्यालय के लिए जमीन या कार्यालय खरीदें तो बहुत लाभदायक रहेगा। दीवाली पूजन के लिए इस दिन चांदी का कुबेर यंत्र, चांदी का सिक्का व चांदी की वस्तुएं खरीदना अति उत्तम रहेगा। विशेष रूप से पीली कौडिया अवश्य खरीदें।
वृश्चिक राशि:- वृश्चिक राशि वाले स्थायी रूप से व्यापार के लिए किसी भूमि खरीदने में पूंजी निवेश करें तो बहुत अच्छा रहेगा। दीवाली पूजा के लिए पीतल, तांबे के बर्तन और तांबे की मां लक्ष्मी की मूर्ति, तांबे का कुबेर यंत्र खरीदना शुभ रहेगा। दीवाली पूजन के लिए भी खील, बतासे धनतेरस के दिन खरीदना शुभ रहेगा। विशेष रूप से गोमती चक्र अवश्य खरीदें।
धनु राशि:- धनु राशि वालें सोने में पूंजी निवेश करें तो लाभकारी रहेगा। दीवाली पूजन क लिए पीतल और तांबे की वस्तुएं खरीदना साथ ही पीतल का अष्ट लक्ष्मी यंत्र खरीदना एवं तांबे की बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, खील-बतासे खरीदना उत्तम रहेगा। विशेष रूप से 108 कमल गट्टे की माला अवश्य खरीदें।
मकर राशि:- मकर राशि वाले इस दिन व्यवसायिक भूमि संबंधी सौदों में पूंजी निवेश करें तो बहुत लाभ मिलेगा। दीवाली पूजन के लिए मिट्टी से बने हुए गणेश-लक्ष्मी व घर में बंदनवार, आर्टिफिशल फूलों की लडी खरीदना शुभ रहेगा। विशेष रूप से 108 दानें की काले हकीक की माला अवश्य खरीदें।
कुंभ राशि:- कुंभ राशि वालें चांदी में पूंजी निवेश करें तो बहुत लाभ मिलेगा और दीवाली पूजन के लिए चांदी की वस्तुएं व घर में लटकाने वाली वस्तुएं खरीदना अति उत्तम रहेगा। विशेष रूप से 108 दानें की वैयजंती माला अवश्य खरीदें।
मीन राशि:- मीन राशि वाले सोने-चांदी, भूमि, आवास के लिए मकान आदि में पूंजी निवेश करें तो लाभ मिलेगा। दीवाली पूजन के लिए चांदी की वस्तुएं व छत्र, मुकुट, भगवान के श्रृंगार के कपडे खरीदना उत्तम रहेगा। विशेष रूप से 108 दानें की हल्दी माला अवश्य खरीदें।
[श्री शनिधाम पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती जी महाराज]

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Thursday, October 14, 2010

समस्त साधनाओं को सिद्ध करने वाली मां सिद्धिदात्री


नवरात्र के नवम् तथा अंतिम दिन समस्त साधनाओं को सिद्ध एवं पूर्ण करने वाली तथा अष्टसिद्धि नौ निधियों को प्रदान करने वाली भगवती दुर्गा के नवम् रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना का विधान है। देवी भगवती के अनुसार भगवान शिव ने मां की इसी शक्ति की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं। इसके प्रभाव से भगवान का आधा शरीर स्त्री का हो गया था। उसी समय से भगवान शिव को अ‌र्द्धनारीश्वर कहा जाने लगा है। इस रूप की साधना करके साधक गण अपनी साधना सफल करते हैं तथा सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। वैदिक पौराणिक तथा तांत्रिक किसी भी प्रकार की साधना में सफलता प्राप्त करने के पहले मां सिद्धिदात्री की उपासना अनिवार्य है।

साधना विधान -
सर्वप्रथम लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति अथवा तस्वीर को स्थापित करें तथा सिद्धिदात्री यंत्र को भी चौकी पर स्थापित करें। तदुपरांत हाथ में लालपुष्प लेकर मां का ध्यान करें।


ध्यान मंत्र -
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ध्यान के बाद हाथ के पुष्प को मां के चरणों में छोड दें तथा मां का एवं सिद्धिदात्री के मंत्र का पंचोपचार अथवा षोडशोपचार विधि से पूजन करें। देशी घी से बने नैवेद्य का भोग लगाएं तथा मां के नवार्ण मंत्र का इक्कीस हजार की संख्या में जाप करें। मंत्र के पूर्ण होने के बाद हवन करें तथा पूर्णाहुति करें। अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा वस्त्र-आभूषण के साथ दक्षिणा देकर परिवार सहित आशीर्वाद प्राप्त करें। कुंवारी कन्याओं का पूजन करें और भोजन कराएं। वस्त्र पहनाएं वस्त्रों में लाल चुनरी अवश्य होनी चाहिए, क्योंकि मां को लाल चुनरी अधिक प्रिय है। कुंआरी कन्याओं को मां का स्वरूप माना गया है। इसलिए कन्याओं का पूजन अति महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य है।

भोग
इस दिन भगवती को धान का लावा अर्पण करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इस दान के प्रभाव से पुरुष इस लोक और परलोक में भी सुखी रह सकता है।
[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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Wednesday, October 13, 2010

मां के आठवें स्वरूप महागौरी की उपासना


नवरात्र के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की उपासना की जाती है इस दिन साधक विशेष तौर पर साधना में मूलाधर से लेकर सहस्त्रार चक्र तक विधि पूर्वक सफल हो गए होते हैं। उनकी कुंडलिनी जाग्रत हो चुकी होती है तथा अष्टम् दिवस महागौरी की उपासना एवं आराधना उनकी साधना शक्ति को और भी बल प्रदान करती है। मां की चार भुजाएं हैं तथा वे अपने एक हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए हैं, दूसरे हाथ से अभय मुद्रा में हैं, तीसरे हाथ में डमरू सुशोभित है तथा चौथा हाथ वर मुद्रा में है। मां का वाहन वृष है। अपने पूर्व जन्म में मां ने पार्वती रूप में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी तथा शिव जी को पति स्वरूप प्राप्त किया था। मां की उपासना से मनपसंद जीवन साथी एवं शीघ्र विवाह संपन्न होगा। मां कुंवारी क न्याओं से शीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होने का वरदान देती हैं। इसमें मेरा निजी अनुभव है मैंने अनेक कुंवारी कन्याओं को जिनकी वैवाहिक समस्याएं थी उनसे भगवती गौरी की पूजा-अर्चना करवाकर विवाह संपन्न करवाया है। यदि किसी के विवाह में विलंब हो रहा हो तो वह भगवती महागौरी की साधना करें, मनोरथ पूर्ण होगा।

साधना विधान -
सर्वप्रथम लकडी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति मूर्ति अथवा तस्वीर स्थापित करें तदुपरांत चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें तथा यंत्र की स्थापना करें। मां सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं। हाथ में श्वेत पुष्प लेकर मां का ध्यान करें।

ध्यान मंत्र -
श्वेते वृषे समारू ढा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभम् दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
ध्यान के बाद मां के श्री चरणों में पुष्प अर्पित करें तथा यंत्र सहित मां भगवती का पंचोपचार विधि से अथवा षोडशोपचार विधि से पूजन करें तथा दूध से बने नैवेद्य का भोग लगाएं। तत्पश्चात् ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। मंत्र की तथा साथ में ॐ महा गौरी देव्यै नम: मंत्र की इक्कीस माला जाप करें तथा मनोकामना पूर्ति के लिए मां से प्रार्थना करें। अंत में मां की आरती और कीर्तन करें।

शीघ्र विवाह एवं संपूर्ण वैवाहिक सुख प्रदान करने वाला प्रयोग
यदि आपका विवाह न हो रहा हो, या आपके परिवार में किसी का विवाह विलम्ब से हो रहा हो या आपके वैवाहिक जीवन में तनाव हो तो यह उपाय बहुत लाभदायक होगा। यह उपाय किसी भी शुक्ल पक्ष की अष्टमी को या नवरात्र की अष्टमी को रात्रि 10 बजे से 12 बजे के बीच में शुरू करना चाहिए और नियमित 43 दिन तक करें। अपने सोने वाले कमरे में एक चौकी बिछा तांबे का पात्र रख उसमें जल भर दें। पात्र के अंदर आठ लौंग, आठ हल्दी, आठ साबुत सुपारी, आठ छुहारे, इन सारे सामान को डाल दें। आम के पांच पत्ते दबा कर जटा वाला नारियल पात्र के ऊपर रख दें। वहीं आसन बिछा कर घी का दीपक जलाएं, श्रद्धापूर्वक धूप-दीप अक्षत पुष्प और नैवेद्य अर्पित करने के उपरांत पांच माला जाप मां गौरी के मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ महागौरी देव्यै नम: की और एक माला जाप शनि पत्नी नाम स्तुति की करें और रात्रि में भूमि शयन करें। प्रात: काल मौन रहते हुए यह सारी सामग्री किसी जलाशय या बहते हुए पानी में प्रवाह कर दें। वैवाहिक समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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आदि शक्ति मां कालरात्रि की उपासना


नवरात्र के सातवें दिन आदि शक्ति मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना का विधान है। व्यापार संबंधी समस्या, ऋण मुक्ति एवं अचल संपत्ति के लिए मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व बताया जाता है। देखने में मां का स्वरूप विकराल है। परंतु मां सदैव ही शुभ फल प्रदान करती हैं। इस दिन साधकगण अपने मन को सहस्रार चक्र में स्थित करते हैं और मां की अनुकंपा से उन्हें ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना एवं साधना द्वारा अकाल मृत्यु, भूत-प्रेत बाधा, व्यापार, नौक री, अग्निभय, शत्रुभय आदि से छुटकारा प्राप्त होता है।
नवरात्र का सातवां दिन भगवती कालरात्रि की आराधना का दिन है। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन सहस्त्रार चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। वे गुरु कृपा से प्राप्त ज्ञान विधि का प्रयोग कर कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कर शास्त्रोक्त फल प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके कालरात्रि स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं।
सहस्त्रार चक्र पर सूर्य का आधिपत्य होता है। लोक - सत्यलोक (अनंत), मातृ देवी - छहों चक्रों की देवियां, देवता - परमशिव, तत्व - तत्वातीत। इसका स्थान तालु के ऊपर मस्तिष्क में ब्रह्म रंध्र से ऊपर सब शक्तियों का केंद्र है और अधिष्ठात्री देवी - शक्ति कात्यायनी हैं।


साधना विधान-
सर्वप्रथम लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाक र मां कालरात्रि की मूर्ति अथवा तस्वीर स्थापित करें तथा चौकी पर कालरात्रि यंत्र को रखें। तदुपरांत हाथ में पुष्प लेकर मां कालरात्रि का ध्यान आह्वान करें। यदि मां की छवि ध्यान अवस्था में विकराल नजर आएं तो घबराएं नहीं बल्कि मां के चरणों में ध्यान एकाग्र करें। मां का स्वरूप देखने में भले ही विकराल है परंतु हर प्रकार से मंगलकारक है।


ध्यान मंत्र -
कराल रूपा कालाब्जा समानाकृति विग्रहा।
कालरात्रि शुभ दधद् देवी चण्डाट्टहासिनी॥


ध्यान के बाद हाथ के पुष्प मां को अर्पण कर दें तथा मां कालरात्रि एवं यंत्र का पंचोपचार से पूजन करें तथा नैवेद्य का भोग लगाएं। इसके बाद मां का मंत्र जाप नौ माला की संख्या में पूर्ण करें - मंत्र - लीं लीं हुं। मनोकामना पूर्ति के लिए मां से प्रार्थना करें। तदुपरांत मां की आरती और कीर्तन करें।


संपूर्ण सौभाग्यवर्घक प्रयोग
यह प्रयोग चैत्र नवरात्र की सप्तमी प्रात: 4 से 6 दोपहर 11:30 से 12:30 के बीच और रात्रि 10:00 बजे से 12:00 के बीच शुरू करना लाभकारी होगा। चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर मां कालरात्रि की तस्वीर और दक्षिणी काली यंत्र व शनि यंत्र स्थापित करें। उसके बाद अलग-अलग आठ मुट्ठी उडद की चार ढेरियां और आठ मुट्ठी गेहूं की चार ढेरियां बना दें। प्रत्येक गेहूं की ढेरी पर मिट्टी का देशी घी से भरा दीपक रख दें और प्रत्येक उडद की ढेरी पर तेल से भरा दीपक रखें। प्रत्येक दीपक में आठ बत्ती रहनी चाहिए। दीपक प्रज्ज्वलित करने के बाद धूप-नैवेद्य, पुष्प-अक्षत अर्पित करें। शुद्ध कंबल का आसन बिछा कर एक पाठ शनि चालीसा, एक पाठ मां दुर्गा चालीसा, एक माला जाप ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ कालरात्रि देव्यै नम: और एक माला ॐ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से सारे कष्टों का निवारण होगा, पारिवारिक, व्यापारिक और शारीरिक सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी और आपका जीवन सुखी हो जाएगा।
नवरात्र की सप्तमी या किसी भी शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रात्रि 8 बजे से लेकर 12 बजे तक यह पूजा करें। चौकी पर लाल कपडा बिछा कर मां कालरात्रि की तस्वीर रखें, साथ में संपूर्ण श्री यंत्र और शनि यंत्र भी स्थापित करें। तत्पश्चात् 108 धान की छोटी-छोटी ढेरी बनाएं और प्रत्येक ढेरी पर 108 कमलगट्टे पर कुमकुम, केसर व हल्दी घोल कर अनार की कलम से श्री लिखें। एक-एक श्री लिखा हुआ कमलगट्टा रख दें। साथ में प्रत्येक ढेरी पर एक पूजा कपूर की डली, एक लौंग, एक इलायची और एक साबुत सुपारी भी रखें। धूप-दीप, नैवेद्य पुष्प अक्षत अर्पित करें और कंबल का शुद्ध आसन बिछा कर ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ कालरात्रि देव्यै नम: मंत्र का जाप पांच माला और पांच माला ॐ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप तथा एक माला ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीदं। श्रीं ह्रीं महालक्ष्म्यै नम: मंत्र का जाप करें। तत्पश्चात माँ भगवती से एक श्री लिखा हुआ कमलगट्टा मांग लें उस कमलगट्टे के साथ लौंग, इलायची, साबुत सुपारी, कपूर लाल रेश्मी वस्त्र में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें और बाकी सारी सामग्री को बहते पानी में बहा दें। ऐसा करने से सारी आर्थिक समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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Monday, October 11, 2010

मां कात्यायनी की उपासना


नवरात्र के पावन समय में छठवें दिन अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष को प्रदान करने वाली भगवती कात्यायनी की पूजा वंदना का विधान है। साधक , आराधक जन इस दिन मां का स्मरण करते हुए अपने मन को आज्ञा चक्र में समाहित करते हैं। योग साधना में आज्ञा चक्र का बडा महत्व होता है। मां की षष्ठम् शक्ति कात्यायनी नाम का रहस्य है। एक कत नाम के ऋषि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए इन्हीं कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन हुए उनके कठोर तपस्या के फलस्वरूप उनकी इच्छानुसार भगवती ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया।
भगवती कात्यायनी ने शुक्लपक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक ऋषि कात्यायन की पूजा ग्रहण की और महिषासुर का वध किया था। इसी कारण छठी देवी का नाम कात्यायनी पडा। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत विशाल एवं दिव्य है। उनकी चार भुजाएं हैं। एक हाथ वर मुद्रा में, दूसरा हाथ अभय मुद्रा में, तीसरे हाथ में सुंदर कमल पुष्प और चौथे हाथ में खड्ग धारण किए हुए हैं। मां सिंह पर सवार हैं। जो मनुष्य मन, कर्म व वचन से मां की उपासना करते हैं उन्हें मां धन-धान्य से परिपूर्ण एवं भयमुक्त करती हैं।
नवरात्र का छठा दिन भगवती कात्यायनी की आराधना का दिन है। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन आज्ञा चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। वे गुरु कृपा से प्राप्त ज्ञान विधि का प्रयोग कर कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कर शास्त्रोक्त फल प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके कात्यायनी स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं।
आज्ञा चक्र पर गुरु ग्रह का आधिपत्य होता है। लोक - तप लोक, मातृ देवी - परमेश्वरी, देवता - शम्भू, तन्मात्रा - बुद्धि (संकल्प विकल्प), तत्व - मानस (गुरु)। इसका स्थान दोनों भ्रुवों के मध्य में और अधिष्ठात्री देवी - हाकिनी (विचार शक्ति की देवी)। प्रभाव - सात्विक स्वभाव की वृद्धि, छठी संज्ञा की जाग्रति।


साधना विधान -
सबसे पहले मां कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर को लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। तदुपरांत चौकी पर मनोकामना गुटिका रखें। दीपक प्रज्जवलित रखें। तदुपरांत हाथ में लाल पुष्प लेकर मां का ध्यान करें।


ध्यान मंत्र -
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
इसके बाद मां को हाथ में लिए हुए पुष्प अर्पण करें तथा मां का षोडशोपचार से पूजन करें। नैवेद्य चढाएं तथा 108 की संख्या में मंत्र जाप करें -

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

मंत्र की समाप्ति पर मां की प्रार्थना तथा आरती करें।


सम्पूर्ण रोग विनाशक उपाय
यदि आपके परिवार अथवा आप स्वयं या आपके परिचित में कोई व्यक्ति लंबे समय तक बीमार रहता हो, डाक्टर स्वयं बीमारी को पकड नहीं पा रहे हों। तो आज के दिन यह उपाय शुरू किया जा सकता है। एक चौकी पर लाल कपडा बिछा दें। दुर्गा यंत्र स्थापित करें। सफेद कपडे में सात कौडियां, सात गोमती चक्र, सात नागकेसर के जोडे, सात मुट्ठी चावल बांध कर यंत्र के सामने रख दें। धूप-दीप, नैवेद्य, पुष्प और अक्षत अर्पित करने बाद एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ कात्यायनी देव्यै नम: एक माला शुक्र के बीज मंत्र की और एक माला शनि मंगलकारी गायत्री मंत्र की। ऐसा आज से लेकर 43 दिन तक नियमित करें। कैसी भी बीमारी होगी। उससे छुटकारा मिल जाएगा।


भय से मुक्ति के लिए प्रयोग
यदि हमेशा भय बना रहता है, यदि छोटी सी भी बात पर पैर कांपने लगते हैं, यदि कोई भी निर्णय नहीं ले पाते हैं तो छठे नवरात्र से यह उपाय शुरू करें। घी का दीपक जला कर एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ कात्यायनी देव्यै नम: मंत्र का सुबह और शाम जाप करें। रात्रि सोते समय पीपल के पत्ते पर इस मंत्र को केसर से पीपल की लकडी की कलम से लिख कर अपने सिरहाने रख दें और सुबह मां के मंदिर में रखकर आ जाएं। भय से छुटकारा मिल जाएगा।


ग्रह पीडा निवारण
जिस जातक की जन्म कुंडली में शुक्र प्रतिकूल भाव, प्रतिकूल राशि या प्रतिकूल ग्रहों के साथ स्थित हो उन जातक-जातिकाओं को मां कात्यायनी के मंत्र का जाप करने से ग्रह प्रतिकूलता का निवारण हो जाता है।

राशि उपाय
वृषभ और तुला राशि के लोग मां कात्यायनी की आराधना करें तो संपूर्ण समस्याओं का निवारण हो जाएगा।

[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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मां स्कंदमाता की उपासना



नवरात्र के पुण्य पर्व पर पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा, अर्चना एवं साधना का विधान वर्णित है। मां के पांचवें स्वरूप को स्कंद माता के नाम से जाना जाता है। पांचवें दिन की पूजा साधना में साधक अपने मन-मस्तिष्क क ो विशुद्ध चक्र में स्थित करते हैं। स्कंद माता स्वरूपिणी भगवती की चार भुजाएं हैं। सिंहारूढा मां पूर्णत: शुभ हैं। साधक मां की आराधना में निरत रहकर निर्मल चैतन्य रूप की ओर अग्रसर होता है। उसका मन भौतिक काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद (अहंकार) से मुक्ति प्राप्त करता है तथा पद्मासना मां के श्री चरण कमलों में समाहित हो जाता है। मां की उपासना से मन की सारी कुण्ठा जीवन-कलह और द्वेष भाव समाप्त हो जाता है। मृत्यु लोक में ही स्वर्ग की भांति परम शांति एवं सुख का अनुभव प्राप्त होता है। साधना के पूर्ण होने पर मोक्ष का मार्ग स्वत: ही खुल जाता है।

  मां की उपासना के साथ ही भगवान स्कंद की उपासना स्वयं ही पूर्ण हो जाती है। क्योंकि भगवान बालस्वरूप में सदा ही अपनी मां की गोद में विराजमान रहते हैं। भवसागर के दु:खों से छुटकारा पाने के लिए इससे दूसरा सुलभ साधन कोई नहीं है।
 
  नवरात्र का पांचवां दिन भगवती स्कन्दमाता की आराधना का दिन है। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन विशुद्ध चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। वे गुरु कृपा से प्राप्त ज्ञान विधि का प्रयोग कर कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कर शास्त्रोक्त फल प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके स्कंदमाता स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं।
  विशुद्ध चक्र पर शनि ग्रह का आधिपत्य होता है। इसका लोक - जन लोक, मातृ देवी - कौमारी, देवता - सदाशिव (व्योमनेश्वर और व्योमनेश्वरी), तन्मात्रा - ध्वनि, तत्व - आकाश, इसका स्थान कण्ठ में होता है और अधिष्ठात्री देवी - शाकिनी/गौरी (वाणी) है। प्रभाव - यह वाणी का क्षेत्र है इसलिए यहाँ सबसे ज्यादा ऊर्जा की क्षति होती है।
 
     साधना विधान -
 सर्वप्रथम मां स्कंद माता की मूर्ति अथवा तस्वीर को लकडी की चौकी पर पीले वस्त्र को बिछाकर उस पर कुंकुंम से ॐ लिखकर स्थापित करें। मनोकामना की पूर्णता के लिए चौकी पर मनोकामना गुटिका रखें। हाथ में पीले पुष्प लेकर मां स्कंद माता के दिव्य ज्योति स्वरूप का ध्यान करें।
 
 
   ध्यान मंत्र -
 
   सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया।
   शुभदास्तु सदा देवी स्कंद माता यशस्विनी॥
 
      ध्यान के बाद हाथ के पुष्प चौकी पर छोड दें। तदुपरांत यंत्र तथा मनोकामना गुटिका सहित मां का पंचोपचार विधि द्वारा पूजन करें। पीले नैवेद्य का भोग लगाएं तथा पीले फल चढाएं। इसके बाद मां के श्री चरणों में प्रार्थना कर आरती पुष्पांजलि समर्पित करें तथा भजन कीर्तन करें।
 
    ग्रह कलह निवारण प्रयोग
   यदि आपके परिवार में बिना किसी कारण ही अशांति बनी रहती है। पारिवारिक सदस्य यदि एक साथ बैठ नहीं पाते। किसी न किसी बात को लेकर गृह कलह होता रहता है तो आज के दिन किसी भी समय सुबह, दोपहर शाम यह उपाय शुरू करें। लकडी की चौकी बिछाएं। उसके ऊपर पीला वस्त्र बिछाएं। चौकी पर पांच अलग-अलग दोनों पर अलग-अलग मिठाई रखें। दोनों में पांच लौंग, पांच इलायची और एक नींबू भी रखें। धूप-दीप, पुष्प, अक्षत अर्पित करने के उपरांत एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ स्कंद माता देव्यै नम: मंत्र का जाप करें। साथ ही एक माला जाप शनि पत्‍‌नी नाम स्तुति की करें। तत्पश्चात यह समस्त सामग्री किसी पीपल के पेड के नीचे चुपचाप रखकर आना चाहिए। बहुत जरूरी है कि अपने घर में प्रवेश से पहले हाथ-पैर अवश्य धो लें। ऐसा नियमित 43 दिन तक करें। पारिवारिक सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा। वैसे यह उपाय किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी से प्रारंभ किया जा सकता है।
  
      पारिवारिक कष्ट निवारण या पति-पत्‍‌नी मन-मुटाव निवारण प्रयोग
      कई परिवार ऐसे देखे गए हैं कि उनके परिवार में किसी प्रकार की कमी नहीं है। भरा-पूरा परिवार है। धन-दौलत सबकुछ है लेकिन सुख-शांति नहीं है और कोई कारण समझ में नहीं आता। तो पांचवें नवरात्र में इस उपाय को शुरू करना चाहिए। वैसे तो यह उपाय शुक्ल पक्ष की किसी भी पंचमी को शुरू किया जा सकता है और उसे 43 दिन तक नियमित करना चाहिए। अपने पूजा स्थान में ईशान कोण में एक चौकी लगाकर पीला कपडा बिछाएं। उस पर हल्दी और केसर मिला कर स्वास्तिक बनाएं। स्वास्तिक के ऊपर कलश स्थापित करें। कलश में जल भर कर थोडा सा गंगाजल डालें। 7 मुट्ठी धनिया, 7 गांठ हल्दी और 7 बताशे डालें। पांच अशोक पेड के पत्तों को दबाकर कलश पर मिट्ठी की प्लेट रखें। उसमें 7 मुट्ठी गेहूं और 7 मुट्ठी मिट्टी मिला कर प्लेट में रखें। तत्पश्चात एक जटा वाला नारियल रखें उस पर 7 बार कलावा लपेट कर स्थान दें। नारियल पर केसर और हल्दी का तिलक करें। शुद्ध घी का दीपक जला कर गाय का घी, शक्कर, केला, मिश्री, दूध, मक्खन, हलवा भोग के रूप में अर्पित करें। और रुद्राक्ष की माला पर पांच माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ स्कंद माता देव्यै नम: और पांच माला ॐ सर्व मंगलमांगल्यै शिवै सर्वाथ साधिके। शरण्ये ˜यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तु ते। और मां भगवती को प्रणाम करके उठ जाएं। और माँ भगवती को लगाए भोग को निर्जन व गरीब परिवार में बांट दें। मां की आरती करें और कष्ट निवारण के लिए प्रार्थना करें। अगले दिन पुन: भोग व धूप-दीप अर्पित करें और पांच-पांच माला जाप करें। ऐसा नवमी तक करें। अंतिम दिन पांच कुंवारी कन्याओं को बुला कर भोजन कराएं। वस्त्र और दक्षिणा भेंट करें। नारियल फोड कर उस जल को पूरे घर में छिडक दें। गिरी को परिवार के सदस्यों में बांट दें। बाकी समस्त पूजन सामग्री कलश सहित जल में प्रवाह कर दें।
 
   [श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]http://www.shanidham.in/

Sunday, October 10, 2010

भगवती कूष्माण्डा की उपासना



नवरात्र के चौथे दिन आयु, यश, बल व ऐश्वर्य को प्रदान करने वाली भगवती कूष्माण्डा की उपासना-आराधना का विधान है। इस दिन साधक जन अपने मन को अनाहत चक्र में स्थित करके मां कूष्मांडा की कृपा प्राप्त करते हैं। मां सृष्टि की आदि स्वरूपा तथा आदि शक्ति हैं। मां के इसी रूप ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण मां  को कूष्मांडा कहा गया है। मां का निवास सूर्य मंडल के भीतर के लोक में है। इन्हीं के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हैं। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब भगवती कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। इनकी आठ भुजाएं हैं। उनके सात भुजाओं में - कमण्डल, धनुष, बाण, कमल पुष्प कलश चक्र एवं गदा शोभायमान हैं। आठवें हाथ में जप की माला है जो अष्ट सिद्धि एवं नौ निधियों को देने वाली है। मां भगवती सिंह पर सवार हैं और इनको कुम्हडों (काशीफल या कद्दू) की बलि अत्यंत प्रिय है। मां पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति भाव से की गई साधना से तुरंत प्रसन्न होकर अपने भक्त ों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं तथा हर प्रकार से मंगल करती हैं।

नवरात्र का चौथा दिन भगवती कूष्माण्डा की आराधना का दिन है। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन अनाहत चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। वे गुरु कृपा से प्राप्त ज्ञान विधि का प्रयोग कर कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कर शास्त्रोक्त फल प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं।

अनाहत चक्र चंद्र ग्रह का आधिपत्य होता है। इसका लोक - मह लोक, मातृ देवी - वैष्णवी, देवता - ईश्वर (हंसेश्वर और हंसेश्वरी), तन्मात्रा - स्पर्श। तत्व - वायु। इसका स्थान हृदय के पास है और अधिष्ठात्री देवी - काकिनी (श्वसन तंत्र)। इसका प्रभाव - यहां आत्मा परमात्मा के साथ वास करती है जैसे एक गुरु और एक चेला, मौन रहकर सब कुछ का प्रत्यक्ष होना और सीखना। सुख-दु:ख से परे और भक्ति के मार्ग की ओर अग्रसर होना।



साधना विधान-

सर्वप्रथम मां कूष्मांडा की मूर्ति अथवा तस्वीर को चौकी पर दुर्गा यंत्र के साथ स्थापित करें इस यंत्र के नीचें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं। अपने मनोरथ के लिए मनोकामना गुटिका यंत्र के साथ रखें। दीप प्रज्ज्वलित करें तथा हाथ में पीलें पुष्प लेक र मां कूष्मांडा का ध्यान करें।



ध्यान मंत्र -

सुरा सम्पूर्ण कलशं रू धिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

ध्यान के बाद हाथ के पुष्प चौकी पर अर्पण करें तथा भगवती कूष्मांडा और यंत्र का पंचोपचार विधि से पूजन करें और पीले फल अथवा पीले मिष्ठान का भोग लगाएं। इसके बाद मां का 108 बार मंत्र जाप करें - ॐ क्रीं कूष्मांडायै क्रीं ॐ। इसके बाद मां की प्रार्थना करें। कुम्हडे (काशीफल या कद्दू) की बलि भी दे सकते हैं तथा मां की आरती, कीर्तन आदि करें।


आयु, यश, बल व ऐश्वर्य प्रदान करने वाला अद्भुत प्रयोग

संपूर्ण परिश्रम, प्रयास और कठिन मेहनत के बावजूद बदनामी का सामना करना पड रहा हो, समाज में जग हंसाई हो रही हो, व्यापार वृद्धि के लिए किए गए सम्पूर्ण प्रयास विफल हो रहे हो, तो आज का दिन उन लोगों के लिए बहुत महत्त्‍‌वपूर्ण है। चार कुम्हडे (काशीफल या कद्दू), चौकी पर लाल कपडा बिछा कर इन सबको उस पर रख दें। धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प अर्पित करने के बाद पांच माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम:, एक माला ॐ शं शनैश्चराय नम: का जाप करें। तत्पश्चात इनको अपने ऊपर से 11 बार उसार लें, उसारने के बाद छोटे-छोटे टुकडे करके किसी तालाब में डाल दें। सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी।


चर्म रोगों से छुटकारा के लिए अद्भुत प्रयोग

जिन्हें बार-बार, शरीर में फोडे-फुंसी होती हो या कोई न कोई चर्म रोग हमेशा रहता हो उन्हें आज के दिन यह उपाय प्रारंभ करना लाभदाय रहेगा। एक चांदी की कटोरी ले लें उसमें स्वच्छ जल भर कर 18 पत्ते तुलसी के, 9 पत्ते नीम के और 3 पत्ते बेलपत्र के डाल लें। अपने सामने स्वच्छ आसन पर रख दें। तत्पश्चात घी का दीपक और चंदन का धूप जला कर एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम: और शनि पत्नी नाम स्तुति की एक माला करने से लाभ होगा।


डूबा हुआ पैसा प्राप्ति का सरल उपाय

यदि आपका पैसा कहीं फंस गया हो, या जिसको भी आप पैसा देते हैं वह पैसा वापस नहीं देता हो, तो 11 गोमती चक्र को हरे कपडे में बांध कर पवित्र थाली में अपने सामने रख दें, घी का दीपक जलाएं, एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम: और एक माला ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: का जाप करें। तत्पश्चात इस सामग्री को किसी सुनसान जगह में उस व्यक्ति का ध्यान करते हुए गढ्डा खोद कर दबा दें। इस उपाय से आपका धन आपको वापस अवश्य मिलेगा। उपाय आज के दिन दोपहर 12 बजे से शुरू करें और लगातार 43 दिन तक नियमित करें।


ग्रह पीडा निवारण

जिस जातक की जन्म कुंडली में बुध कमजोर हो या बुध की वजह से आपके जीवन में कोई परेशानी आ रही हो तो मां भगवती कूष्माण्डा का मंत्र का जाप करना बहुत ही शुभ रहेगा।

[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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Saturday, October 9, 2010

मां चंद्रघण्टा की उपासना


नवरात्र के तीसरे दिन भगवती मां दुर्गा की तीसरी शक्ति भगवती चंद्रघण्टा की उपासना की जाती है। मां का यह रूप पाप-ताप एवं समस्त विघ्न बाधाओं से मुक्ति प्रदान करता है और परम शांति दायक एवं कल्याणकारी है। मां के मस्तक में घंटे की भांति अर्घचंद्र सुशोभित है। इसीलिए मां को चंद्रघण्टा कहते हैं। कंचन की तरह कांति वाली भगवती की दश विशाल भुजाएं है। दशों भुजाओं में खड्ग, वाण, तलवार, चक्र, गदा, त्रिशूल आदि अस्त्र-शस्त्र शोभायमान हैं। मां सिंह पर सवार होकर मानो युद्ध के लिए उद्यत दिखती हैं। मां की घंटे की तरह प्रचण्ड ध्वनि से असुर सदैव भयभीत रहते हैं। तीसरे दिन की पूजा अर्चना में मां चंद्रघंटा का स्मरण करते हुए साधकजन अपना मन मणिपुर चक्र में स्थित करते हैं। उस समय मां की कृपा से साधक को आलौकिक दिव्य दर्शन एवं दृष्टि प्राप्त होती है। साधक के समस्त पाप-बंधन छूट जाते हैं। प्रेत बाधा आदि समस्याओं से भी मां साधक की रक्षा करती हैं।

नवरात्र का तीसरा दिन भगवती चंद्रघण्टा की आराधना का दिन है। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन मणिपुर चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। वे गुरु कृपा से प्राप्त ज्ञान विधि का प्रयोग कर कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कर शास्त्रोक्त फल प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके चंद्रघण्टा स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं।



साधना विधान -
सबसे पहले मां चंद्रघण्टा की मूर्ति अथवा तस्वीर का लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर श्री दुर्गा यंत्र के साथ स्थापित करें तथा हाथ में लाल पुष्प लेकर मां चंद्रघण्टा का ध्यान करें।
ध्यान के बाद हाथ में लिए हुए पुष्प मां की तस्वीर पर अर्पण करें तथा अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मां के 108 बार मंत्र जाप करें। मंत्र इस प्रकार है- ओम् चं चंद्रघण्टाय हुं॥ ध्यान रहे, मंत्र जाप से पहिले मां का तथा दुर्गा यंत्र सहित अखण्ड ज्योति क ा पंचोपचार विधि से पूजन करें। लाल पुष्प चढाएं तथा लाल नैवेद्य का भोग लगाएं। मंत्र पूर्ण होने पर मां की प्रार्थना करें तथा भजन कीर्तन के बाद आरती करें।


भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए एवं पूजन के उपरान्त वह दूध किसी ब्राह्मण को दे देना उचित है। यह संपूर्ण दु:खों से मुक्त होने का एक परम साधन है।

[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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Friday, October 8, 2010

मनोरथ सिद्धि करती है मां ब्रह्मचारिणी


नवरात्र के दूसरे दिन भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, अर्चना का विधान है। साधक एवं योगी इस दिन अपने मन को भगवती मां के श्री चरणों मे एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं। ब्रह्म शब्द का तात्पर्य (तपस्या)। ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य तप का आचरण करने वाली ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप ज्योतिर्मय एवं महान है। मां के दाहिने हाथ में जपमाला एवं बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित रहता है। अपने पूर्व जन्म में वे हिमालय (पर्वतराज) के घर कन्या रूप में प्रकट हुई थीं। तब इन्होंने देवर्षि नारद जी के उपदेशानुसार कठिन तपस्या करके भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनोरथ सिद्धि, विजय एवं नीरोगता की प्राप्ति होती है तथा मां के निर्मल स्वरूप के दर्शन प्राप्त होते हैं। प्रेम युक्त की गई भक्ति से साधक का सर्व प्रकार से दु:ख-दारिद्र का विनाश एवं सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

नवरात्र का दूसरा दिन भगवती ब्रह्मचारिणी की आराधना का दिन है। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। वे गुरु कृपा से प्राप्त ज्ञान विधि का प्रयोग कर कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करते हुए इसे जाग्रत कर शास्त्रोक्त फल प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं।

साधना विधान-
मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या तस्वीर को लकडी के पट्टे पर लाल कपडा बिछाकर स्थापित करें और उस पर हल्दी से रंगे हुए पीले चावल की ढेरी लगाकर उसके ऊपर हकीक पत्थर की 108 मनकों की माला रखें। परिवार या व्यक्ति विशेष के आरोग्य के लिए एवं अन्य मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु मनोकामना गुटिका रखकर हाथ में लाल पुष्प लेकर मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें।

मनोकामना गुटिका पर पुष्पांजलि अर्पित कर उसका पंचोपचार विधि से पूजन करें। तदुपरांत दूध से निर्मित नैवेद्य मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित करें। देशी घी से दीप प्रज्जवलित रहे। हकीक की माला से 108 बार मंत्र का जाप करें -

ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् ब्रह्मचारिण्यै नम:

मंत्र पूर्ण होने पर मां से अपने अभीष्ट के लिए पूर्ण भक्ति भाव से प्रार्थना करें। तदुपरांत मां की आरती करें तथा कीर्तन करें।

इस दिन पूजन करके भगवती जगदम्बा को चीनी का भोग लगावे और ब्राह्मण को दे दें। यों करने से मनुष्य दीर्घायु होता है।

[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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Thursday, October 7, 2010

माँ शैलपुत्री की उपासना


सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए नवरात्र के पावन पर्व में पूजी जाने वाली नौ दुर्गाओं में सर्व प्रथम भगवती शैलपुत्री का नाम आता है। पर्व के पहले दिन बैल पर सवार भगवती मां के पूजन-अर्चना का विधान है। मां के दाहिने हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। अपने पूर्वजन्म में ये दक्ष प्रजापति की कन्या के रूप में पैदा हुई थीं। उस समय इनका नाम सती रखा गया। इनका विवाह शंकर जी से हुआ था। शैलपुत्री देवी समस्त शक्तियों की स्वामिनी हैं। योगी और साधकजन नवरात्र के पहले दिन अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं और योग साधना का यहीं से प्रारंभ होना कहा गया है।


साधारण गृहस्थ लोगों के लिए पूजा विधान

साधना विधि -
सबसे पहले मां शैलपुत्री की मूर्ति अथवा तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचें लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें। इसके ऊपर केशर से शं लिखें और उसके पर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। तत्पश्चात् हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें। मंत्र इस प्रकार है-

ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।

मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प मनोकामना गुटिका एवं मां के तस्वीर के ऊपर छोड दें। तत्पश्चात् मनोकामना गुटिका का पंचोपचार द्वारा पूजन करें। दीप प्रज्जवलित करके ही पूजन करें। यदि संभव हो तो नौ दिनों तक अखण्ड ज्योति जलाने का विशेष महत्व होता है। इसके बाद भोग प्रसाद अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें। संख्या 108 होनी चाहिए। मंत्र - ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:। मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें तथा श्रद्धा से आरती कीर्तन करें।


कानूनी मसलों से छुटकारा हेतु प्रयोग:-
अनावश्यक टांग खिचाई, बेवजह लोग आपको कानूनी मसलों में फंसा रहे हों या ना चाहते हुए भी लोग आपको परेशान कर रहे हों तो यह प्रयोग आपको बहुत ही काम आएगा। रात्रि में 8 बजे के बाद चौकी पर लाल कपडा बिछा कर उस पर दुर्गा जी का यंत्र स्थापित करें। लाल कपडे में 8 मुट्ठी अखंडित गेंहू अपने ऊपर से 7 बार उसार कर के रख दें। तत्पश्चात 7 लौंग, 7 गोमती चक्र, 7 साबुत सुपारी, 7 लाल चंदन के टुकडे रखकर इन समस्त सामग्री की एक पोटली बना दें। पोटली को मां भगवती के यंत्र के सामने अपनी मनोकामना का ध्यान करते हुए रख दें। तत्पश्चात श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें। चौमुखा घी का दीपक जलाएं और साथ में एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं। सात माला ओम् जयंति मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥ का जाप करें और एक माला ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम: का जाप करें। तत्पश्चात समस्त सामग्री को अपने ऊपर से उसार कर के मां भगवती के मंदिर में चुपचाप रख कर आ जाएं।

अनावश्यक कोर्ट-कचहरी के मामलों से छुटकारा मिल जाएगा।


कारोबारी, पारिवारिक, कानूनी परेशानियों से छुटकारा दिलाने वाला अमोध प्रयोग

आप अपना काम कर रहे हो कठिन परिश्रम के बावजूद भी लोग आपका हक मार देते हैं। अनावश्यक कार्य अवरोध उत्पन्न करते हों। आपकी गलती न होने के बावजूद भी आपको हानि पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा हो तो यह प्रयोग आपके लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा। रात्रि में 10 बजे से 12 बजे के बीच में यह उपाय करना बहुत ही शुभ रहेगा। एक चौकी के ऊपर लाल कपडा बिछा कर उसके ऊपर 11 चौमुखा घी का दीपक जलाएं दीपक प्रज्वलित करने के बाद प्रत्येक दीपक में 1-1 लौंग डाल दें। तत्पश्चात श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें। और वहीं बैठकर 7 माला ओम् सर्व मंगलमांगल्यै शिवै सर्वाथ साधिके। शरण्ये ‌र्त्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते। का जाप करें। उसके बाद एक माला ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम: । का जाप माला करें, पूजा के उपरांत सुबह प्रत्येक दीपक को अपने ऊपर से 1 बार उसार कर के ब्रह्म मुहूर्त में बिना किसी से बात किए यह समस्त दीपक पीपल के पेड के नीचे या तालाब या किसी बहते हुए पानी में प्रवाह कर दें। कानूनी कैसी भी समस्या होगी उससे छुटकारा मिल जाएगा।


सूर्य ग्रह दशा निवारण उपाय
आपकी सिंह राशि है आपको सूर्य की महादशा है। और निजकृत कर्मो के अनुसार सूर्य आपकी जन्मकुंडली में प्रतिकूल फल प्रदान कर रहे हैं उसके निवारण के लिए नौ दिन हर रोज सुबह-शाम मां शैलपुत्री के मंत्र का ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम: जाप करना कल्याणकारी रहेगा।
अति विशेष भोग मां को लगाया गया भोग बदलेगा आपके भाग्य को नवरात्र का पहला दिन माँ शैलपुत्री का- इस दिन भगवती जगदम्बा की गोघृत से पूजा होनी चाहिए अर्थात् षोडशोपचार से पूजन करके नैवेद्य के रूप में उन्हें गाय का घृत अर्पण करना चाहिए एवं फिर वह घृत ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इसके फलस्वरूप मनुष्य कभी रोगी नहीं हो सकता।

[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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Sunday, October 3, 2010

पंचग्रही योग में नवरात्रों का प्रारंभ

इस वर्ष अद्भुत पंचग्रही योग में नवरात्रों का प्रारंभ हो रहा है, इसमें..
होगा आपकी सारी समस्याओं का समाधान
मिलेगा आपको मनचाहा मान-सम्मान
पीछा छूटेगा आपका अपमानों के दौर से
फैलेगा आपका सुयश समाज में
मिलेगा आपको मनचाहा धन। कारोबारी समस्याओं का होगा समाधान
साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। यात्राओं में होगी बल्ले-बल्ले
यदि आपके पास मकान नहीं तो मिलेगा मकान। अगर वाहन नहीं है तो मिलेगा वाहन
संतान को मिलेगी मनचाही सफलता
शत्रुओं से छूटेगा पीछा। कानूनी विवादों में आप होंगे सफल
वैवाहिक समस्याओं का होगा संपूर्ण निवारण। यदि आपका विवाह नहीं हुआ है तो बनेगा योग विवाह का
रोगों से मिलेगा छुटकारा
धर्म में बढ़ेगी आपकी आस्था
संपूर्ण कारोबारी समस्याओं का निवारण होगा। और व्यवसाय में होगा लाभ
अनावश्यक विघन्, दुर्घटनाओं से पीछा छूटेगा और मन होगा बाग-बाग
क्योंकि कन्या राशि में सूर्य, चंद्रमा, शनि और बुध। मीन राशि में स्थित बृहस्पति अपनी पूर्ण सप्तम दृष्टि से इन पंचग्रही योग में नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं जो आपके जीवन की संपूर्ण समस्याओं का निवारण कर रहे हैं।
घट स्थापना का समय
8 अक्टूबर शुक्रवार से नवरात्र प्रारंभ हो जाएंगे। घट स्थापना आश्विन शुक्ल  पक्ष प्रतिपदा को चित्रा नक्षत्र एवं वैद्धति योग रहित समय में द्विस्वभाव लग्न प्रात: या मध्याह्न में की जाती है। इस वर्ष 8 अक्टूबर 2010 को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा है परन्तु उस दिन चित्रा नक्षत्र एवं वैद्धति योग रहित लग्न का अभाव है।  ऐसी स्थिति में मेरा अनुभव यह कहता है कि या तो लाभ का चौघडि़या में घट स्थापना करना चाहिए या अभिजित मुहू‌र्त्त में घट स्थापना करनी चाहिए और उस दिन लाभ का चौघडि़या है प्रात: 7.30 बजे से 9 बजे तक और अभिजित मुहूर्त है 12 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजे तक है। परंतु इस दिन 12 बजकर 40 मिनट पर शुक्र वक्री हो रहा है। इसलिए इससे पहले घट स्थापना होना अति आवश्यक है।
इन नवरात्रों में ग्रह योगायोग का बारह राशियों पर क्या प्रभाव रहेगा
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा नवरात्र से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवरात्रों तक का द्वादश राशियों में ग्रहों का भ्रमण निम्न प्रकार है:-
सूर्य चंद्र बुध शनि कन्याराशि में। मंगल शुक्र तुला राशि में। बृहस्पति मीन राशि में। राहु धनु राशि में और केतु मिथुन राशि में और यह ग्रह योगायोग अलग-अलग राशि वालों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करेगा।
मेष राशि:- मेष राशि वालों शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक समय अति उत्तम रहेगा।
- व्यवसाय में सफलता मिलेगी।
- परिश्रम के अनुकूल धन लाभ होगा।
- प्रतिस्पर्धा और कम्पीटिशन में मान-सम्मान मिलेगा।
-दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहेगा।
- घर में सुख के साधनों की वृद्घि होगी।
- मनोनुकूल लंबी यात्राओं का योग भी है।
वृष राशि:- वृषभ राशि वालों को शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय अनुकूल व सफलता का संकेत दे रहा है।
- संतान पक्ष को सफलता प्राप्त होगी।
- घर में मांगलिक कार्य संपन्न होंगे।
- आय के साधनों में वृद्धि होगी।
- स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
- व्यवसाय संबंधी लंबी यात्राओं का योग भी नजर आ रहा है।
मिथुन राशि:- मिथुन राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत का समय संघर्ष पूर्ण रहेगा।
- कारोबार में सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।
- पारिवारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
- अनावश्यक खर्चो में वृद्धि होगी।
- यात्राओं में तकलीफ की प्रबल संभावना।
- किसी महिला मित्र से अपमान की संभावना नजर आ रही है।
कर्क राशि:- कर्क राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय अति अनुकूल नजर आ रहा है।
- आर्थिक सुदृढ़ता बढ़ेगी।
- पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी।
- कम प्रयत्न में अधिक सफलता का योग नजर आ रहा है।
- स्वजनों एवं पारिवारिक सदस्यों का अनुकूल सहयोग प्राप्त होगा।
- यदि आप अविवाहित है तो विवाह का प्रबल योग है।
- विवाहित हैं तो वैवाहिक सुख में वृद्धि होगी।
- आय के साधनों में वृद्धि होगी।
सिंह राशि:- सिंह राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय अनुकूलता का संकेत नहीं दे रहा है।
- किए गए प्रयासों के अनुकूल फल प्राप्त नहीं होंगे।
- आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
- न चाहते हुए भी धन खर्च बढ़ेगा।
- स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना होगा।
- पारिवारिक सहयोग की कमी रहेगी।
- दांपत्य जीवन के सुख में कमी आएगी।
- पार्टनर के साथ वैचारिक मतभेद हो सकते हैं।
कन्या राशि:- कन्या राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा।
- आर्थिक दृष्टि कोण से समय अति अनुकूल रहेगा।
- किए गए प्रयास सफल होंगे।
- मनोनुकूल कार्य बनेंगे और धन की भी प्राप्ति होगी।
- परंतु पारिवारिक सौहार्द्र में कमी आएगी।
- स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहेंगे।
तुला राशि:- तुला राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्र से लेकर वर्ष के  अंत तक का समय शुभ नजर नहीं आ रहा है।
- अप्रत्याशित विघन् और परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
- बेवजह लंबी यात्राओं में तकलीफ आएगी।
- आर्थिक स्त्रोतो में कमी आएगी।
- स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।
- शत्रुता में वृद्धि होगी।
- इसके साथ-साथ संतान पक्ष को लेकर भी तुला राशि वालों को सावधान रहना पड़ेगा।
वृश्चिक राशि:- वृश्चिक राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय सफलता का संकेत दे रहा है।
- कारोबार में मनोनुकूल सफलता हासिल होगी।
- अपने कॅरियर के लिए परेशान युवकों को सफलता मिलेगी।
- कारोबार में मनोनुकूल साझेदारों की प्राप्ति होगी।
- दांपत्य सुख में वृद्धि होगी।
- स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
- समाज में मान और प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
- रुके हुए कार्य सरलता से पूरे होंगे।
- संतान सुख में वृद्घि होगी।
- और यह समय मनोनुकूल जीवन साथी चुनने का भी है, इसमें सफलता मिलेगी।
धनु राशि:- धनु राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय मिलाजुला रहेगा।
- इस समय कार्यो में परिवर्तन न करें।
- चलते हुए कार्य में विशेष ध्यान दें, सफलता मिलेगी।
- सरकारी कार्यो में मनोनुकूल सफलता प्राप्त होगी।
- जमीन-जायदाद के सौदों में लाभ की आशा की जा सकती है।
- स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
- परंतु शादी-विवाह संबंधित कार्यो में सावधानी बरतनी पड़ेगी।
- विरोधी विघन् डाल सकते हैं।
मकर राशि:- मकर राशि वालो के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय सामान्य रहेगा।
- लाभ प्राप्ति के लिए व्यवसाय में कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।
- पारिवारिक सदस्यों को साथ लेकर चलना पड़ेगा।
- अत्यधिक आत्मविश्वास हानि का कारण बन सकता है, ध्यान रखें।
- बुजुर्गो की सलाह के बिना कार्य प्रारंभ न करें।
- यह समय पूंजी निवेश के लिए एवं नए कार्य शुरू करने के लिए अनुकूल नजर नहीं आ रहा है।

कुंभ राशि:- कुंभ राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय शुभ नजर नहीं आ रहा है।
- व्यापार में कठिन परिश्रम का सामना करना पड़ेगा।
- किए गए प्रयास सफल नहीं होंगे।
- अनावश्यक खर्चो में वृद्घि नहीं होगी।
- पारिवारिक सदस्यों का साथ नहीं मिल पाएगा।
- साथ ही दांपत्य सुख में भी कमी आएगी।
मीन राशि:- मीन राशि वालों के लिए शारदीय नवरात्रों से लेकर वर्ष के अंत तक का समय उत्तम फलों से भरा रहेगा।
- रुके हुए कार्यो में सफलता मिलेगी।
- अकस्मात धन लाभ होगा।
- नए व्यावसायिक संबंध बनेंगे।
- संतान सुख में वृद्धि होगी।
- संतान की शादी संबंधी समस्याओं का निवारण होगा।
- आय के साधनों में मनोनुकूल सफलता प्राप्त होगी।
- व्यावसायिक यात्राएं लाभ देंगी।
- स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा।
- अनावश्यक खर्चो में कमी आएगी।

नवरात्रों में भोग-प्रसाद बदलेगा आपका भाग्य
नवरात्रों में भगवती के नौ दिनों के भोग-प्रसाद आपके जीवन की किस्मत की चाबी आपके हाथ में दे देगा।
यह भोग आपका किस्मत से कनेक्शन कर देगा।
यह भोग भाग्य का सितारा चमका देगा यह भोग करेगा धन की बरसात
यह भोग आपके घर में लाएगा लक्ष्मी
यह भोग आपके दांपत्य जीवन में खुशहाली लाएगा
यह भोग आपके संपूर्ण जीवन के दु:खों को मिटाएगा
नवरात्र का पहला दिन माँ शैलपुत्री का- इस दिन भगवती जगदम्बा की गोघृत से पूजा होनी चाहिये अर्थात् षोडशोपचार से पूजन करके नैवेद्य के रूप में उन्हें गाय का घृत अर्पण करना चाहिए एवं फिर वह घृत ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इसके फलस्वरूप मनुष्य कभी रोगी नहीं हो सकता।
नवरात्र का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी का- इस दिन पूजन करके भगवती जगदम्बा को चीनी का भोग लगाएं और ब्राह्मण को दे दें। यों करने से मनुष्य दीर्घायु होता है।
नवरात्र का तीसरा दिन माँ चंद्रघण्टा का-  भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए एवं पूजन के उपरांत वह दूध किसी ब्राह्मण को दे देना उचित है। यह संपूर्ण दु:खों से मुक्त होने का एक परम साधन है।
नवरात्र का चौथा दिन मां कूष्माण्डा का-  इस दिन मालपूआ का नैवेद्य अर्पण किया जाय और फिर वह योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाए। इस अपूर्व दानमात्र से ही किसी प्रकार के विघ्न सामने नहीं आ सकते।
नवरात्र का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता का-  इस दिन पूजा करके भगवती क ो केले का भोग लगाएं और वह प्रसाद ब्राह्मण को दे दें, ऐसा करने से पुरुष की बुद्धि का विकास होता है।
नवरात्र का छठा दिन माँ कात्यायनी का-  इस दिन देवी के पूजन में मधु का महत्त्‍‌व बताया गया है। वह मधु ब्राह्मण अपने उपयोग में ले। इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।
नवरात्र का सातवां दिन मां कालरात्रि का-  इस दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पण करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है।
नवरात्र का आठवां दिन मां महागौरी का-  इस दिन भगवती को नारियल का भोग लगाना चाहिए। फिर नैवेद्य रूप वह नारियल ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इसके फलस्वरूप उस पुरुष के पास किसी प्रकार के संताप नहीं आ सकते।
नवरात्र का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री का-  इस दिन भगवती को धान का लावा अर्पण करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इस दान के प्रभाव से पुरुष इस लोक और परलोक में भी सुखी रह सकता है।
ये बारह मंत्र आपकी मनोकामनाओं को पूरा करेंगे
दिलाएंगे पैसा, गाड़ी और बंगला
घर में आएगी खुशियां
दूर होगा आपका दारिद्र
आप पर होगी लक्ष्मी मेहरबान
दुश्मनों से पीछा छूटेगा
व्यापार में होगी बढ़ोतरी
बेरोजगारों को मिलेगा रोजगार
यदि आप नौकरी में हैं तो मिलेगा आपको प्रमोशन
बॉस होगा आपसे खुश
दांपत्य जीवन में आएगी खुशियां
मेष राशि:- मेष राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती चंद्रघंटा देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें मसूर के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर लाल चंदन की माला पर श्रद्घानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ चंद्रघंटा दैव्ये नम:॥

वृष राशि:- वृष राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कात्यायनी देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें चावल के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर स्फटिक की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रिये नमो भगवति मम् समषद्विशै ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि मम् अलक्ष्मी नाषय हुं फट् स्वाहा।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कात्यायनी दैव्ये नम:॥
मिथुन राशि:- मिथुन राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कुष्मांडा देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा तेल का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें साबूत मूंग के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर हरे हकीक की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ यक्षाय कुबेराय वेश्रवणाय धन धान्यं समृद्धि में देहि दापय दापय स्वाहा।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कुष्मांडा दैव्ये नम:॥

कर्क राशि:- कर्क राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती ब्रह्मचारिणी देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें लौंग के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर रुद्राक्ष की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ ह्रीं कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्यं समृद्धि देहि देहि नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ ब्रह्मचारिणी दैव्ये नम:॥
सिंह राशि:- सिंह राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती शैलपुत्री देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा तेल का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें गेहूं के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर लाल चंदन की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ लं लक्ष्मयै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ शैलपुत्री दैव्ये विच्चे नम:॥

कन्या राशि:- कन्या राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कुष्मांडा देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा तेल का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें साबूत मूंग के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर हरे हकीक की माला पर श्रद्घानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ धं ह्रीं श्रीं रतिप्रियै स्वाहा।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कुष्मांडा दैव्ये नम:॥
तुला राशि:- तुला राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कात्यायनी देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा तेल का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 1 इलायची डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर स्फटिक की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप करें।
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:॥
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कात्यायनी दैव्ये नम:॥
वृश्चिक राशि:- वृश्चिक राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्याेित जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती चंद्रघंटा देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें साबूत मसूर के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर लाल चंदन की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ ह्रीं कमल वासिन्यै प्रत्यक्ष ह्रीं फट्॥
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ चंद्रघंटा दैव्ये नम:॥
धनु राशि:- धनु राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती स्कंद माता देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में हल्दी की 1 गांठ डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर हरिद्रा की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी ममगृहे धनं चिन्ता दूर करोति स्वाहा।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ स्कंद माता दैव्ये नम:॥

मकर राशि:- मकर राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कालरात्री देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 काली मिर्च डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर कमल गट्टे की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ महालक्ष्मयै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कालरात्री दैव्ये नम:॥
कुंभ राशि:- कुंभ राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती कालरात्री देवी का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें साबूत उड़द के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर कमल गट्टे की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ लं लक्ष्मयै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ कालरात्री दैव्ये नम:॥

मीन राशि:- मीन राशि वाले लोग नवरात्रों में नौ दिन देसी घी की अखंड ज्योति जलाएं। और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत अपने पूजा घर में मां भगवती स्कंद माता का सुंदर चित्र या अंगुष्ठप्रमाण प्रतिमा के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्वलित करने के बाद घी में 7 दानें चने की दाल के डालें। और वहीं शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर हरिद्र की माला पर श्रद्धानुसार पांच, सात, ग्यारह माला का जाप सुबह-शाम करें। भूमि शयन करें, एक समय भोजन करें। संभव हो तो भोजन में नमक नहीं लें। मांस-मदिरा, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे तो चौगुना लाभ मिलेगा।
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे। ऊँ स्कंद माता दैव्ये नम:॥



[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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Saturday, October 2, 2010

प्रबल त्रियोग

इस साल 3 अक्टूबर को बहुत ही प्रबल त्रियोग बन रहे हैं। इस दौरान विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पडेगा जानिए:-


  • सर्वार्थसिद्व योग
  • रविपुष्य योग
  • कन्या राशि में चार ग्रहो का सम्बन्ध्
  • कन्या राशि में चार ग्रहो का योग से सम्बन्ध -
  • सूर्य, बुध, शनि कन्या राशि में गोचर कर रहे है।
  • बृहस्पति इन तीनो को अपनी पूर्ण सप्तम् दृष्टि से देख रहे है।
  • बृहस्पति का मंगल व शुक्र से षडाष्टक योग है।
  • बृहस्पति का राहु से चर्तुथ दशम् योग।
  • सूर्य बुध और शनि से मंगल शुक्र का दुबारा योग।
  • ये ग्रहयोगायोग मेदनि ज्योतिष के अनुसार - आने वाले छ: नवम्बर तक अनुकूलता का संदेश नही दे रहे हैं 
  • जिस तरह के ग्रहयोगायोग हैं राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर सावधानी बरतनी होगी।
  • वायदा बाजारों में विशेष सावधानी की आवश्यकता है।
  • मंगल व शुक्र त्रिकादश योग स्थापित कर रहे है।
  • 6 नवम्बर तक राजनैतिक उठापठक, दुर्घटनाएँ एंव धर्म को लेकर अनहोनी का भी संदेश मिल रहा है।
 होरा शास्त्र के अनुसार इन द्वादश राशिओ पर प्रभाव कर्क राशि - तुला राशि - मकर राशि -
मेष राशि -
- ये 15 दिन मेष राशि वालो को विशेष सावधानी के रहेगें।
- लाभ प्राप्ति के लिए कठिन परिश्रम करना होगा।
- उधार लेन देन से बचना होगा।
- अनावश्यक क्रोध व उत्तोजना परेशानी का कारण बन सकते है,
- परन्तु समस्याओं के बावजूद भी गुजारे लायक धन की प्राप्ति होगी।

वृषभ राशि -
 - वृषभ राशि वालो के लिए ये समय अनुकूल नही है।
 -  पारिवारिक परेशानियों का सामना करना पडेगा।
- बनते हुए कामों में विघ्न आयेगा।
- अनावश्यक खर्चो में वृध्दि होगी।
 मिथुन राशि -
- मिथुन राशि वालो के लिए ये समय ठीक रहेगा ।
- साहस व पराक्रम में वृध्दि होगी।
- कारोबारी समस्याओं का निवारण होगा।
- आय के साधन उपलब्ध होगें।
- मान सम्मान व यश में वृध्दि होगी।
 - परन्तु चोट आदि का भय नजर आ रहा है, सावधानी बरतें।

   - कर्क राशि वालो के लिए समय अनुकूल है।
   - व्यवसाय में सफलता के अवसर प्राप्त होंगे।
   - धर्म कर्म में रुचि बढ़ेगी।
   - रुके हुए कार्य बनेगें।
   - धन प्राप्ति के साधन उपलब्ध होगें परन्तु यात्राओं से सावधानी बरतनी  होगी।
 सिहं राशि -
- सिंह राशि वालो के लिए ये समय अनुकूल नही हैं।
- अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पडेगा।
- किये गए प्रयास असफल होगें।
- बनते हुए कामो में विघ्न पडेगा।
- व्यर्थ की भागदौड़ व मानसिक तनाव बढेगा।
- स्वास्थय भी प्रतिकूल रह सकता है।
 कन्या राशि -
- कन्या राशि वालो के लिए समय शुभता का संकेत।
- पारिवारिक परेशानी का निवारण।
- कारोबार में सफलता मिलेगी।
- परिवार में मंगल कार्य सम्पन्न होगें।
- किये गये प्रयास सफल होगें
- परन्तु साझेदारी से सावधानी बर्तें। स्वास्थय पर ध्यान दें।

- तुला राशि वालो के लिए समय अनुकूल है।
- किये गये प्रयास सफल होगें।
- अनावश्यक विघ्नो से पीछा छूटेगा।
- मनोबल में वृध्दि होगी।
- परन्तु अनावश्यक खर्चो के साथ शारीरिक कष्ट व चोट की सम्भावना नजर
   आ रही है।
 वृश्चिक राशि -
- वृश्चिक राशि वालों के लिए कारोबार की दृष्टि से समय अनुकूल रहेगा।
- मनोनकूल कार्यो में वृध्दि, पारिवारिक सुखो में वृध्दि धन लाभ व उन्नति के   
   अवसर प्राप्त होगें।
- परन्तु नया पूंजी निवेश बुर्जगो की सलाह से करें तो अच्छा होगा।
 धनु राशि -
- धनु राशि वालो के लिए समय अनुकूल है।
- रुके हुए काम बनेगें।
- परिवारिक सदस्यो का सहयोग प्राप्त होगा।
- कारोबार में सफलता के अवसर प्राप्त होगें।
- यदि आप नौकरी में है तो मनोनकूल स्थान परिवर्तन की सम्भावना भी नजर
   आ रही है।

- मकर राशि वालो के लिए समय अनुकूल है।
- साहस व पराक्रम बढेगा।
- संघर्षपूर्ण परिस्थितियाें से पीछा छूटेगा।
- व्यवसाय में धन लाभ प्राप्त होगा।
- नौकरी में उन्नति के अवसर मिलेगें।
- मनोनकूल आय के साधन प्राप्त होगें
- परन्तु लेन देन में विशेष सावधानी बरतनी होगी धोखे की सम्भावना नजर आ रही है।
 कुम्भ राशि -
- कुम्भ राशि वालों  के लिए ये समय अनुकूल नहीं है।
- इस समय पूँजी निवेश न करे।
& महत्वपूर्ण योजनाए छ: नवम्बर के बाद कार्यान्वित करें।
- धरेलू परेशानियों से मन परेशान रहेगा।
- व्यवसाय में अनावश्यक समस्याओं का सामना करना पडेगा।
- स्वास्थय भी प्रतिकूल रहेगा।
 मीन राशि -
- मीन राशि वालो के लिए ये समय अनुकूल है।
- अपनो का साथ मिलेगा।
- अचानक रुके हुए कार्य बनेगें।
- मान सम्मान में वृध्दि होगी।
- सुख के साधनो में वृध्दि होगी।
- आक्स्मात् धन प्राप्ति का योग भी नजर आ रहा है।

[श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज]
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